आगरा में पांच शिक्षकों की मौत के बाद शिक्षा जगत में हड़कंप, चुनाव में ड्यूटी करने के दौरान हुए थे बीमार

— बेसिक शिक्षा विभाग के चार और एक सहायता प्राप्त विद्यालय में थे कार्यरत, शिक्षक संघ ने की मतगणना स्थगित कराने की मांग।

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आगरा। आगरा में कोरोना का कहर मौत बनकर टूट रहा है। अब पांच शिक्षकों की मौत के बाद शिक्षा जगत में शोक की लहर है। शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने मतगणना कार्यक्रम को स्थगित कराने की मांग की है। शिक्षक नेताओं के मुताबिक मरने वाले शिक्षक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान बीमार हुए थे।
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इन शिक्षकों की हुई मौत

यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के राजेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय रायभा, अछनेरा के प्रधानाध्यापक संजय सिंह, प्राथमिक विद्यालय कराही, फतेहपुर सीकरी के सहायक अध्यापक बोहरन सिंह, उच्च प्राथमिक विद्यालय विल्हैनी, बरौली अहीर के प्रभारी प्रधानाध्यापक विजय कुलश्रेष्ठ और अकोला ब्लॉक में तैनात स्पेशल एजूकेटर सुधीर प्रियदर्शी की मौत हुई है। इनमें से एक शिक्षक को छोड़कर बाकी सभी की चुनाव में ड्यूटी लगी थी। तभी से इन्हें सांस लेने में तकलीफ और बुखार रहने लगा था। इससे पहले मंगलवार को भगत कुंवर राम जूनियर हाईस्कूल गुदड़ी मंसूर खां में कार्यवाहक प्रधानाध्यापिका नीना ग्रोवर की कोरोना के चलते मौत हो चुकी है। पंचायत चुनाव में ड्यूटी के बाद से उनकी तबियत खराब चल रही थी।
मतगणना में लगी है ड्यूटी
शिक्षक संघ के नेताओं ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि मतगणना के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया जाए क्योंकि मतगणना में भी कई शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के मंडल अध्यक्ष मुकेश शर्मा, मंत्री भीष्मभद्र लवानिया, जिलाध्यक्ष अजय शर्मा, मंत्री डॉ. विशाल आनंद का कहना है कि लगातार कोरोना काल में हो रहीं मौतों से शिक्षक काफी परेशान हैं। अधिकारी दबाव बनाकर जबरन उनसे चुनाव ड्यूटी करवा रहे हैं। ऐसे में शिक्षकों के हित को देखने वाला कोई नहीं है। मतगणना स्थगित करने से काफी लोगों की जान बच सकती है।
आगरा में लगातार बढ़ रहे केस
शिक्षक संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि आगरा में कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में लोगों का घर से बाहर निकलना भी सुरक्षित नहीं रह गया है। वहीं, चुनाव ड्यूटी करने के बाद काफी शिक्षा जगत के कर्मचारी कोरोना संक्रमित हुए हैं अथवा बीमार हुए हैं। ऐसी स्थिति में कोरोना संकट से बचाने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।
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