मोहब्बत की निशानी पर कोरोना का साया, टूटी सदियों की परंपरा

– इस बार नहीं हो पाएगा शाहजहां और मुमताज की असली कब्रों का दीदार
– 21 से 23 मार्च के बीच शाहजहां का 365 वां उर्स मनाया जाना था
– ताजमहल बंद के आदेश के चलते इस बार उर्स रद्द
– साल में एक बार ही खोली जाती हैं असली कब्र और स्नान कराया जाता है

<p>मोहब्बत की निशानी पर कोरोना का साया, टूटी सदियों की परंपरा</p>
आगरा। Coronavirus के खौफ में मोहब्बत की नगरी से उठी ताजमहल सहित तमाम स्मारकों को बंद रखने की मांग पर मुहर लग गई है। संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय के निर्देश पर Coronavirus संक्रमण से बचाव के दृष्टिगत 31 मार्च तक देश भर के स्मारक बंद रहेंगे। इस आदेश के मुताबिक आगरा के प्रमुख स्मारक लालकिला औरे ताजमहल भी बंद रहेंगे। बात करें करें पर्यटन व्यवसाय की तो सबसे ज्यादा आसर ताजमहल बंद होने से पड़ेगा। ताजमहल बंद होने के चलते इस बार मुगल बादशाह शाहजहां का उर्स भी नहीं मन पाएगा। साल में लोगों को एक बार मुगलों के पांचवें बादशाह और उनकी पत्नी की असली कब्रों को देखने का मौका भी नहीं मिलेगा।
372 साल में तीसरी बार हुआ ताज बंद

मोहब्बत की निशानी 1648 में बन कर तैयार हुई। इसके बाद से आज तक यामि कि 372 साल में 15 दिन क लिए दूसरी बार ही ताजमहल के दरवाजे बंद हुए हैं। पहली बार 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान 15 दिन के लिए पर्यटकों का प्रवेश बंद किया गया था। तब दिसंबर के महीने में ताजमहल बंद किया गया था। उसके बाद अब कोरोनावायरस की वजह से 49 साल बाद 15 दिनों के लिए ताजमहल बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं। इस बीच एक बार 1978 में भा ताजमहल बंद किया गया था। रिटायर्ड पूर्व वरिष्ठ संरक्षण सहायक डा. आर के दीक्षित बताते हैं कि 1978 में भयंकर बाढ़ आई थी। इस दौरान भारी संख्या में लोग ताजमहल पर बाढ़ देखने के लिए आते। भीड़ और कोई बड़ी दुर्घटना की संभावना को देखते हुए जिलाधिकारी ने सात दिन के लिए ताजमहल बंद करने के आदेश दिए थे।
नहीं मन पाएगा उर्स
21 से 23 मार्च के बीच शाहजहां का 365 वां उर्स मनाया जाना था। ताजमहल में तीन दिवसीय उर्स का आयोजन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन इससे पहले ही संस्कृति मंत्रालय ने कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण ताजमहल समेत स्मारकों को बंद करने के आदेश दे दिए। उर्स के दौरान ताजमहल में उर्स कमेटी की और से सैकड़ों वर्ग मीटर की सतरंगी चादर पेश की जाती रही है। दौरान विश्व की ऐतिहासिक धरोधर के तहखाने में मौजूद मुगलों के पांचवें बादशाह और उनकी पत्नी की असली कब्रें खोली जाती हैं जिन्हें स्नान कराया जाता है, इत्र लगाया जाता है। साल में यही वो खास मौका होता है जिस दौरान शाहजहां और मुमताज की असली कब्रों को आम सैलानी भी देख सकता है। साथ ही इस दौरान एंट्री फीस भी नहीं लगती है।
खौफ के चलते सैलानी रह गए थे काफी कम

हालांकि ताजमहल पर कोरोना के खौफ के चलते पहले से आधे पर्यटक की रह गए थे। सोमवार को ताजमहल पर महज 8709 सैलानी आए थे, जबकि बीते सोमवार को 15 हजार से अधिक सैलानीयों ने ताजमहल देखा। कुल 8709 सैलानीयों में 7533 भारतीय पर्यटक, 1104 विदेशी और सार्क के महज 52 पर्यटक ही आए।
वर्जन

कोरोना के कहर से ताजमहल बंद होने के चलते उर्स न मना पाने पर खुद्दाम ए रोजा कमेटी के अध्यक्ष ताहिरुद्दीन ताहिर कहते हैं कि ताज में प्रवेश नहीं कर पाएंगे, लेकिन उर्स के तीसरे दिन कुरानख्वानी होगी और मुल्क को कोरोना वायरस से बचाने की दुआ की जाएगी। मुल्क के लोग महफूज रहने चाहिए, भले ही परंपराए टूट जाएं।
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