सेवा का भाव: जन्मभूमि की सेवा के लिए बेटे को बनाया डॉक्टर, बेटा बोला- ‘सौ बार जन्म लेकर भी नहीं उतार सकता अहसान’

बेटे के शब्द- ‘सौ बार जन्म लेंगे सौ बार जुदा होंगे, अहसान पिता के फिर भी ना अदा होंगे।’

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दुर्गेश शर्मा

आगर-मालवा/ मध्य प्रदेश के आाागर मलवा स्थित छावनी इलाके में रहने वाले हेमंत शर्मा का सपना था कि, उनके दोनों बेटों में से कम से कम एक बेटा डॉक्टर बने और उनके पिताजी की तरह आगर में ही लोगों की सेवा करें। इसके लिए हेमंत शर्मा ने अपने दोनों बेटों को अच्छी शिक्षा दी, एक बेटा डॉक्टर है, तो दूसरा बैंक मैनेजर। छोटे बेटे चंचल शर्मा डेंटल सर्जन बनने के बाद इंदौर स्थित अरविंदो में कार्यरत थे, अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए अरविंदो की नौकरी छोड़ डॉक्टर चंचल शर्मा आगर में ही लोगों की सेवा कर रहे हैं।

 

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पिता की इच्छा का आदर करते हुए बेटे ने लिया बड़ फैसला

छावनी सदर बाजार में निवासरत मध्यम वर्गीय परिवार के हेमंत शर्मा ने अपने जीवन काल के दौरान काफी संघर्ष करते हुए बच्चों को उच्च शिक्षा दी और मन में एक जिज्ञासा रखी कि उनके दोनों बेटों में से एक बेटा उनके पिता डॉक्टर मोहन लाल शर्मा, जो कि अपने जीवन काल के दौरान भूमिगत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के साथ-साथ एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी थे, की तरह आगर में लोगों की सेवा करें। छोटे बेटे डॉक्टर चंचल शर्मा जब डेंटल सर्जन की डिग्री लेकर इंदौर स्थित अरविंदो हॉस्पिटल में एक बेहतर पैकेज पर सेवाएं दे रहे थे। तब उनके पिता हेमंत शर्मा ने अपनी इच्छा जाहिर कर बताया कि, बेटा धन दौलत तो जीवन भर कमाते रहेंगे लेकिन अपनी जन्मभूमि पर तुम सेवाएं दोगे तो मुझे अच्छा लगेगा। पिता की ये बात सुनकर डॉक्टर चंचल ने तत्काल आगर में ही कामकाज स्थापित कर लिया और यहीं लोगों की सेवा में जुट गए।

 

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पिता के मार्गदर्शन में ही मिलती है कामयाबी

इस संबंध में जब डॉ. शर्मा से पत्रिका संवाददाता ने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि, कोई भी कामयाब पुत्र अपने पिता के मार्गदर्शन में ही कामयाब हो सकता है। मेरे पिताजी का सपना था कि मेरा बेटा डॉक्टर बने और अपने शहर आगर की सेवा करें। इसलिए पापा की भावनाओं को देखते हुए इंदौर शहर छोड़ कर मैं अपने घर आया यहां डेंटल क्लीनिक के माध्यम से लोगों की सेवा कर रहा हूं। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पापा की प्रेरणा से राष्ट्रीय सेवा एवं सामाजिक सेवा के उद्देश्य से मैंने जिला अस्पताल में निशुल्क सेवाएं दीं। पापा का हमेशा कहना है कि, डॉक्टर का पेशा व्यापार नहीं सेवा है। शर्मा ने अपनी अभिव्यक्ति जाहिर करते हुए कहा कि, ‘सौ बार जन्म लेंगे सौ बार जुदा होंगे अहसान पिता के फिर भी ना अदा होंगे।’

 

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