अगार मालवा

लॉकडाउन की मार : खेतों में सिमटी फूलों की महक, मुरझाए किसानों के चेहरे

फूलों की खेती से आय तो नहीं हुई उल्टा किसानों को हुआ नुकसान…फूलों के पौधों को उखाड़कर खेत खाली करने को मजबूर हुए किसान..

अगार मालवाMay 20, 2021 / 08:24 pm

Shailendra Sharma

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आगर-मालवा. फूलों की खेती करने वाले किसान इन दिनों बदहाली के आंसू बहा रहे हैं। महंगे भाव के बीज लेकर फूलों की खेती से अच्छी आय अर्जित करने का सपना संजोए बैठे किसानों के सपनों को कोरोना के कहर ने बिखेरकर रख दिया है। खेतों से निकलकर विभिन्न आयोजनों में, मंदिरों सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर अपनी महक बिखेरने वाले सुगंधित फूलों की महक इस बार महज खेतों में ही सिमटकर रह गई है। हालात यह है कि क्षेत्र के किसान सैंकड़ो बीघा जमीन में लगे फूलों के पौधे उखाड़कर खेत खाली करने को मजबूर हो चुके हैं।

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किसानों की मेहनत गई बेकार, हुआ आर्थिक नुकसान
आगर मालवा में सैंकड़ो किसान फूलों की खेती करते हैं और इस उम्मीद के साथ खेती की जाती है कि वैवाहिक आयोजनों के दौरान उनके फूलों की खासी पूछ परख रहे। अक्षय तृतीया के पहले एवं अक्षय तृतीया के बाद होने वाले वैवाहिक आयोजनों में फूलों की खासी पूछपरख होती भी है और इससे होने वाली आय से किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाती है। लेकिन कोरोना के कहर ने अप्रैल में ऐसा तांडव मचाया कि शादियों का पूरा सीजन ही निकल गया। अब फूलों की दीपावली तक कोई पूछ परख न होने से किसान खासे मायूस हो चुके हैं और महंगे भाव के बीज लाकर फूलों को तैयार कर अच्छी आमदनी करने का सपना संजोए बैठे किसान खेत में फूलों से लबालब फूल के पौधों को काटकर जमीन को अगली खेती के लिए रिक्त कर रहे हैं। कोरोना महामारी के कारण लगाए गए कोरोना कर्फ्यूने इस बार भी सीजन में फूलों की मांग पूरी तरह समाप्त कर दी है जिससे किसानो को आर्थिक नुकसान तो हुआ ही है मेहनत भी बेकार चली गई है।

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नहीं आई फूलों के व्यापार में बहार
यह स्थिति किसी एक किसान की नहीं बल्कि ऐसे क्षेत्र में कई किसान हैं जिनके लाखों रुपए के गुलाब और गेंदे के फुल खेतों में लगे-लगे ही खराब हो रहे हैं। किसानों ने कयास लगाया था कि कोरोना कर्फ्यू खुलने के बाद अब फूलों में फिर से बहार आ जाएगी और यही सोचकर उन्होंने फूलों की महंगी खेती की पर जैसे-जैसे कोरोना कर्फ्यू की तारीख लगातार आगे बढ़ी इनकी उम्मीदें भी इन फूलों के साथ मुरझा गईं। अपने खेतों में सुख रहे फूलों की खेती को देख कर किसान आंसू बहा रहा है। बता दें कि पिछले साल भी लॉकडाउन होने के कारण इसी प्रकार की स्थिति निर्मित हुई थी और फूलों की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। इस साल किसानों ने उम्मीद लगाई थी कि यह सीजन उनके लिए लाभदायक रहेगा लेकिन किसानों की तमाम उम्मीदों पर कोरोना का ग्रहण लग गया।

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पौधे उखाड़कर फेंकने को मजबूर किसान
फूलों की खेती करने वाले किसान बद्रीलाल अपने खेत से फूलों के पौधों को उखाड़कर फेंकने को मजबूर हैं। दरअसल बद्रीलाल और उसके परिवार के लोग अपनी जमीन में गुलाब और गेंदा के फूलों की खेती किया करते हैं और इन्हीं खुशबूदार फूलों की खेती के माध्यम से इनके परिवार का गुजर बसर होता है। ऐसे में जब कोरोना कर्फ्यू लग गया तो यह किसान इन फूलों के पौधों को उखाड़-उखाड़ कर फेंक रहे हैं। फूल या तो मंदिर में चढ़ाने के काम आता है या फिर शादियां और अन्य मांगलिक कार्यक्रमों में इसका उपयोग सबसे ज्यादा होता है। कोरोना कर्फ्यू के कारण मंदिरों में दर्शन बंद है, वैवाहिक गतिविधियो पर प्रतिबंध लगा हुआ है जिससे इस वर्ष भी फूलों की खेती घाटे का सौदा साबित हुई है। खुशबुदार फूल पौधों पर लगे-लगे ही सूख रहे हैं। किसान भी हैरान परेशान हैं कि वह करें भी तो क्या करें और वह फूलों को तोड़कर कहां ले जाकर बेचें।

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