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राम मंदिर निर्माण के लिए इस योगी ने ली समाधि, तीन दिन तक जमीन से 14 फीट नीचे रहेंगे

locationअमेठीPublished: Aug 21, 2018 09:26:01 am

एक संत ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का सुसंकल्प लेकर जमीन के 14 फ़ीट अंदर तीन दिनों के लिए समाधि में चले गए हैं।

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राम मंदिर निर्माण के लिए इस योगी ने ली समाधि, तीन दिन तक जमीन से 14 फीट नीचे रहेंगे

अमेठी. भारत आदि काल से ही ऋषि मुनियों के देश रहा है। यहां की धरती ने बहुत बड़े बड़े सन्त महात्माओं को जन्म दिया है। जिन पर देश और देशवासियों को आज भी गर्वानुभूति होती है। इस प्रकार आज भारतवर्ष के एक संत ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का सुसंकल्प लेकर जमीन के 14 फ़ीट अंदर तीन दिनों के लिए समाधि में चले गए हैं।

इसी क्रम में हम आपको बता दें कि अमेठी जनपद ने प्रत्येक पायदान पर अग्रणी भूमिका निभाई है। मलिक मुहम्मद जायसी की इस धरती पर स्वामी परमहंस की तप स्थली सगरा बाबूगंज में पिछले 35 वर्षों से जप-तप व अनुष्ठान कर रहे हैं। बालब्रह्मचारी शिवयोगी मौनी स्वामी जो कि मौनी बाबा के नाम से चर्चित हैं। अमेठी के इस शख्शियत की बात ही निराली है। इनके शरीर पर संत- महात्माओं की वेशभूषा तो दिखाई ही देती है लेकिन जब ये आश्रम से बाहर निकलते हैं तो हर कोई उन्हें देखता ही रहता है। इसकी बड़ी वजह यही रही कि मौनी बाबा अनुयायियों के घेरे में निकले शिव योगी पूरे शरीर पर रुद्राक्ष की माला धारण किए हुए रहते हैं। जो उन्हें भक्तों ने पिछले 52 बार समाधि लेने के बाद प्रदान की थी। यह 53 वीं समाधी श्रावण मास की अंतिम चरण में अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण की एवं भगवान महाकाल की कृपा प्राप्त करने के लिए अन्न जल त्याग कर तप करने के उद्देश्य से लिया है। साथ में यह भी बता दें कि पूरे सावन माह में लगातार निर्बाध रूप से मंत्रोच्चार करते हुए भगवान शिव की पूजा अर्चना चल रही है।

शिवयोगी मौनी जी महाराज

हमारे भारत की संस्कृति कृषि प्रधान और ऋषि प्रधान रही है। उन्ही में ऋषि प्रधान संस्कृति को लेकर चलने वाले अनंत श्री विभूषित मौनी महाराज जी किसी दलगत राजनीति में नहीं सबको साथ लेकर चलने वाले ऐसे महात्मा हैं। समाधि जो तप की अंतिम साधना होती है महाराज ने ऐसी ही साधना का संकल्प लेकर जनकल्याण व लोककल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर रहे हैं। क्योंकि राम कहो आराम मिलेगा राम किसी एक के नहीं जन जन के और सबके हैं। वे ऐसी साधना करने के उपरांत जो ऊर्जा का संचय करते हैं उसे जनमानस में ही लगा देते हैं।

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अमेठी स्थित साधना आश्रम में रहने वाले 50 वर्षीय शिव योगी स्वामी ने ग्यारह वर्ष की उम्र में वैराग्य धारण कर लिया था। मन में भगवान शिव का दर्शन करने और राष्ट्र कल्याण की भावना को लेकर उन्होंने वर्ष 1989 में मौन धारण किया। मौन रहकर भगवान का पूजन-अर्चन करने का सिलसिला वर्ष 2002 तक लगातार चलता रहा। महाबीर पुल के पास स्थित शिविर में शिव योगी वर्ष 1984 से कल्पवास करने को जातेे हैं लेकिन मौन रहने की वजह से एक साल के अंतराल पर पूरे क्षेत्र में उन्हें मौनी बाबा के नाम से जाना जाता है।

नेपाल के महाराज ने भेंट किया था मुकुट

शिव योगी स्वामी ने समाधि लेने की शुरुआत नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर से की थी। उन्होंने बताया कि राष्ट्र के कल्याण की भावना के उद्देश्य को लेकर अब तक 52 बार भू और जल समाधि ले चुके हैं। पहली बार समाधि लेने के लिए नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर में गए। वहां 41 दिनों तक लगातार भू समाधि ली थी। इससे खुश होकर नेपाल के महाराज वीरेन्द्र विक्रम शाह ने 11 हजार रुद्राक्ष और चांदी का मुकुट भेंट किया था।

भक्तों ने अर्पित की रुद्राक्ष
शिव योगी स्वामी कथा हो या धार्मिक सत्संग ऐसे आयोजनों में जाने से पहले सिर से लेकर कमर तक में पांच हजार रुद्राक्ष की माला धारण करते हैं। जिसका वजन दस किग्रा होता है। सभी मालाएं उन्हें उनके दर्जनों भक्तों ने भूमि या जल समाधि के बाद प्रदान किया है। इसमें दो मुखी से लेकर 21 मुखी तक की रुद्राक्ष की मालाएं शामिल हैं।

कहां-कहां ली समाधि

नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर में एक बार 41 दिन और एक बार 30 दिनों तक समाधि ली है। नासिक में हरिधाम साधना आश्रम के सरोवर में नौ दिन की एक जल समाधि और दूसरी बार नौ दिनों में छह बार जल समाधि लिया है। टीकरमाफी आश्रम के मुंशीगंज स्थित आश्रम में 21 दिनों तक भू समाधि और एक बार जल समाधि ली है। दिल्ली में पूर्वी दिल्ली स्थित आश्रम में दो बार दस- दस दिनों तक लगातार भू समाधि शिव योगी मौनी स्वामी जी ने लिया है। नासिक में वर्ष 2016 में हुए कुंभ के दौरान पांच दिनों तक लगातार भू समाधि ली थी।

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