नहीं बदली गांव की शक्ल जानकारी के मुताबिक अनुषा आवासों का निर्माण ग्राम प्रधान द्वारा कराया जा रहा है। सारा धन खातों से आहरित होने का बाद भी आवासों पर न तो छत पड़ी है और न प्लास्टर हुआ है। गांव के अयोध्या प्रसाद यादव की मानें तो उनके खाते से संपूर्ण धन प्रधान ने निकलवाकर लिया है फिर भी आज तक स्लैप नहीं पड़ा। आवास के साथ शौचालय का निर्माण किये जाने का प्राविधान है। लेकिन इसमें आज तक शौचालय की नींव तक नहीं पड़ी है।
निर्माण की गुणवत्ता पर उठे सवाल अयोध्या प्रसाद यादव का पहले से मकान भी बना है। उसके बाद भी उसकी पत्नी को आवास आवंटित कर विभाग ने व्यवस्था को ही तार-तार कर दिया है। इतना ही नहीं फूलमती के बगल में ही सुराजी पत्नी राम समुझ यादव का आवास भी निर्माणाधीन है। सुराजी की मानें, तो वह भी प्रथम किस्त 40 हजार आहरित कर ग्राम प्रधान को दे चुकी हैं। इस आवास के निर्माण के लिए लायी गयी पीली ईंटें आवास निर्माण का सच उगल रही हैं। आवास निर्माण में निर्धारित मानकों की यहा खुलेआम धज्जिया उड़ाई जा रही हैं। निर्माण में प्रयोग के लिए लायी गयी पीली ईंट विकास विभाग के निर्माण की गुणवत्ता की पोल खोल रही हैं।
क्षेत्र के ज्यादातर प्रधानों ने बिल्डिंग मैटेरियल की दुकाने खोल ली हैं। निर्माण सामग्री देने के नाम पर आवास लाभार्थियों से धन अपने खातों में स्थान्तरित करवा लिया जाता है और समय पर न तो उन्हें सामग्री दी जाती है न ही उन्हें आवास निर्माण की स्वतंत्रता ही होती है। यहा लगभग ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधानों द्वारा ही आवासों का निर्माण कराया जाता है। प्रधानमंत्री आवास निर्माण में यहा अच्छा खासा खेल चल रहा है। ग्राम पंचायत सचिव प्रधानों से साठगाठ कर आवासों के निर्माण के खेल में अच्छी भूमिका निभा रहे हैं।