इंडो-रसियन राइफल प्राइवेट लिमिटेड जॉइंट वेंचर के साथ एके 203 राइफलों को बनाने का प्रयास किया जाएगा। बता दें कि इस साल मार्च में अमेठी की फैक्ट्री का औपचारिक उद्घाटन हो चुका है लेकिन अभी राइफल बनाने का ऑर्डर जारी नहीं किया गया है। साथ बताया गया कि रूस इस अत्याधुनिक राइफल की पूरी तकनीक भारत को ट्रांसफर करेगा। प्रारंभिक चरण में सेना के लिए 6.7 लाख राइफलें बनाई जाने की तैयारी है। इसके बाद अर्द्धसैनिक बलों को भी यह राइफल दी जा सकती है। इससे राइफलों की कुल संख्या 7.5 लाख को पार कर सकती है। सरकार की ऐसी योजना है कि एक लाख राइफलों के जरूरी उपकरणों को रूस से भारत लाया जाएगा और इसके बाद अमेठी में बनी फैक्ट्री में इस राइफल को बनाने की तैयारी शुरू हो जाएगी। सेना के एक मेजर जनरल को इस पूरे प्रॉजेक्ट का हेड बनाया गया है। एक एके-203 राइफल करीब 1000 डॉलर की पड़ेगी।
जानें खसियत
रूस निर्मित एके-203 राइफल दुनिया की सबसे आधुनिक और घातक राइफलों में से एक है। इसके आने पर सेना को अक्सर जाम होने वाली राइफलों से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाएगी। एके-203 बेहद हल्की और छोटी है जिससे इसे ले जाना भी आसान रहेगा। इसमें 7.62 एमएम की गोलियों का इस्तेमाल किया जाता है। यह राइफल एक मिनट में 600 गोलियां या एक सेकंड में 10 गोलियां दाग सकती है। इसे ऑटोमेटिक और सेमी ऑटोमेटिक दोनों ही मोड पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी मारक क्षमता लगभग 400 मीटर है।