बता दें, 2014 में रूस ने यूक्रेन से क्रीमिया तक कब्जा करके यहां अपने सैनिकों को तैनात कर दिया था। जबकि रूस की इस कार्रवाई का अंतरराष्ट्रीय सतर पर विरोध हुआ था। विरोध करने वालों में अमरीका भी शामिल था। इस समस्या से निपटने के लिए ही अमरीका ने काला सागर में अपनी उपस्थिति बढ़ाने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय से काला सागर क्षेत्र में स्थितियां तनावपूर्ण चल रही हैं।
अमरीकी सेना के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि समुद्री सुरक्षा अभियान के तहत अर्ले बर्के श्रेणी के दो मिसाइल USS कार्नी और USS रॉस को काला सागर में तैनात किया गया है। इन्हें नौसेना के छठे बेड़े में शामिल किया गया है। छठा बेड़ा काला सागर क्षेत्र में अमरीकी नौसेना के अभियानों की निगरानी करता है। पिछले साल जुलाई के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब काला सागर में दो अमरीकी युद्धपोत मौजूद हैं।
रूस की घोषणा से बढ़ा तनाव दरअसल यह तनाव उस समय बढ़ा, जब इसी रविवार को रूस ने काला सागर में नौसेना की तैनाती की घोषणा की। रूसी रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया था कि कुछ अभ्यासों के लिए एक युद्धपोत और दो निगरानी जहाजों को काला सागर में उतारा गया है। बता दें, पिछले महीने काला सागर में दोनों देशों के विमान आमने सामने आ गए थे और करीब पौने तीन घंटे तक ऐसी स्थिति बनी रही। इस दौरान रूसी विमान क ओर से अमरीकी विमान का रास्ता रोकने का प्रयास भी किया गया। जानकारी के अनुसार- इस दौरान रूस का SU-27 और अमरीका का EP-3 विमान आमने-सामने आ गए थे और टकराते-टकराते बचे थे। खबरों के अनुसार इसे लेकर लेकर अमरीका के विदेश मंत्रालय ने रूस को चेतावनी भी दी थी। बता दें, गौरतलब है कि दक्षिण चीन सागर में भी चीन और अमरीका के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी रहती है।