अधिकारियों का कहना है कि लगभग 10,000 लोग 9/11 से संबंधित धुएं और धूल से कैंसर की चपेट में आये हैं।अधिकारियों ने बताया है कि इस हमले में 1700 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। ताजा आंकड़ों के अनुसार अब भी कम से कम 420 लोग इस धूल के प्रभाव से कैंसर से पीड़ित हैं। डब्ल्यूटीसी मामले के वकील जॉन फेल ने कहा, “9/11 अभी भी अमरीकी लोगों की हत्या कर रहा है।” 2013 में संघीय स्वास्थ्य कार्यक्रम ने इस बीमारी को ट्रैक करना शुरू कर दिया क्योंकि ऐसा देखा गया उनदिनों कैंसर रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी।
माउंट सिनाई अस्पताल में डब्ल्यूटीसी स्वास्थ्य कार्यक्रम के मेडिकल डायरेक्टर डॉ माइकल क्रेन का कहना है कि “हमें आज भी सप्ताह में 15 से 20 बार इन रेफरल मिलते हैं।” मलबे को हटाने के काम में लगे कर्मी इस जहरीली धूल और धुंए के सबसे आसान शिकार हुए हैं। कैंसर समेत घातक बीमारियों से जूझ रहे जमीन श्रमिकों और अन्य प्रभावित कर्मियों की औसत आयु 55 से 38 साल हो गई है।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ने 11 सितंबर 2001 को एक चित्र लिया था, जिसमें मैनहट्टन के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से निकलने वाले धूल के बादल को देखा गया था। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के पतन के कुछ सेकंड के भीतर, निर्माण सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और फर्नीचर के टुकड़े समूचे क्षेत्र में फ़ैल गए थे। हमलों के बाद पांच महीने बाद तक मलबे की धूल ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर साइट के आसपास की हवा को प्रदूषित करना जारी रखा।
इस हवा में 2,500 से अधिक प्रदूषक शामिल थे। इस मलबे में गैर-रेशेदार सामग्री और निर्माण मलबे, ग्लास और अन्य फाइबर, सेलूलोज़, एस्बेस्टोस, लेड और पारा जैसे हानिकारक रसायन शामिल थे।