इस शख्स को गांधी जी ने लिखा था पत्र
यह पत्र गुजराती भाषा में यशवंत प्रसाद नामक एक शख्स को लिखा गया था। पत्र में गांधी जी ने चरखे के महत्व को बताया है। इसके माध्यम से यशवंत प्रसाद से गांधी जी ने कहा है कि मैंने चरखे को इसलिए अपनाया क्योंकि यह चरखा आर्थिक आजादी का प्रतीक है। गांधी ने पत्र में लिखा है- ‘हमने जो चरखे के बारे में सोचा था, वह हो गया।’ यानी आजादी के आंदोलन को इससे बढ़ावा मिला है। पत्र के अंत में गांधी जी ने आर्शीवाद भी लिखा हुआ है।
इस भी पढ़ेंः दिल्ली में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन का होगा आयोजन, 50 से अधिक देश लेंगे हिस्सा
पत्र में इसका भी है जिक्र
यशवंत प्रसाद नामक शख्स को संबोधित पत्र में गांधी जी ने आगे लिखा है तुमने जो कहा वह बिल्कुल सही है, ये सब कुछ हथकरघों पर निर्भर करता है। इस पत्र में गांधी जी ने स्वदेशी आंदोलन के तहत सभी भारतीयों को अंग्रेजों की ओर से बनाए गए कपड़ों की बजाए खादी के कपड़े पहनने के लिए प्रोत्साहित किया था। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गांधी जी ने देशवासियों से अपील करते हुए कहा था कि वे इस महत्वपूर्ण कार्य में सहयोग करें और हर दिन खादी कात कर अंग्रेजों से अहिंसक तरीके से लोहा लें।