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विश्वविद्यालय का एक और कारनामा… पीएच.डी उपाधिधारी नहीं होने पर भी विधिक अध्ययन बन गया शोध केंद्र

locationअंबिकापुरPublished: Jan 11, 2019 04:43:38 pm

भारत के राजपत्र व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों की हुई अवहेलना

Ambikapur

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अंबिकापुर. संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऐसे विभाग को शोध केन्द्र बना दिया है जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानक पर खरा नहीं है। १७.०९. २०१८ की कार्य परिषद में सात महाविद्यालय , विभागों को शोध केन्द्र बनाया गया, जिसमें विश्वविद्यालय शिक्षण विभाग में विधिक अध्ययन विभाग भी है। विधिक अध्ययन विभाग के साथ पर्यावरण विज्ञान विभाग, प्रयोजनमूलक हिन्दी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, प्रक्षेत्र वानिक विभाग को बनाया गया है।
विधिक अध्ययन विभाग को शोध केन्द्र बनाये जाने के लिए निरीक्षण समिति बनाई गई। समिति की रिपोर्ट की अनुसंशा को मान्य कर विधिक अध्ययन विभाग को शोध केन्द्र बनाया गया। विश्वविद्यालय अधिनियम १९७३ की धारा १५(४) के तहत शोध केन्द्र मान्य किया गया है।
विधिक अध्ययन विभागमें मात्र एक सहायक प्राध्यापक समन नाराायण उपाध्याय हैं जो डाक्ट्रेट उपाधि धारक नहीं हैं।
ज्ञात हो कि शोध केन्द्र बनाये जाने की सूचना ११.१०.२०१८ का पत्र विश्वविद्यालय के पोर्टल पर भी उपलब्ध है। यह पत्र कुलपति द्वारा अनुमोदित भी है।
ये है भारत का राजपत्र का नियम
१. महाविद्यालय को केवल उस स्थिति में एमफिल/पीएच.डी पाठ्यक्रम को प्रस्तुत करने के लिए पात्र माना जाएगा जब वे राजपत्र के अनरूप पात्र शोध पर्यवक्षेकों की उपलब्धता, अपेिक्षत अवसरंचना और सहायक प्रशाासनिक तथा शोध सवंधर्न सुिवधाएं होनेे के सम्बन्ध मेंं संतुष्ट कर पाएंगे।
२.महाविद्यालयों के स्नतकोत्तर विभाग, भारत सरकार/राज्य सरकार की शोध प्रयोगशालायें तथा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान जिनके संबंधित विभाग में कम से कम दो पीएच.डी अर्हता प्राप्त शिक्षक/वैज्ञानिक/अन्य शैक्षणिक स्टाफ हों। इसके साथ-साथ महाविद्यालयों को उन सस्ंथानों से अनिवार्य मान्यता प्राप्त होनी चाहिए जिनके तहत वे कार्य करते हैं।

3. शोध के लिए पर्याप्त सुविधाओं वाले महाविद्यालय ही एमफि ल/पीएच.डी पाठ़्यक्रमोंं को प्रस्तुत करेंगे।
४. विज्ञान और प्रौद्योेिगकी विधाओं में सबंधित संस्थान द्वारा यथा नवीनतम उपकरण से सुसज्जित विशिष्ट शोध प्रयोगशालायें,ं जिनमें प्रति शोधार्थी के लिए पर्याप्त स्थान की व्यवस्था हो।
साथ ही कम्प्यटूर सुिवधाए तथा अनिवार्य सॉफ्टवेयर तथा अबाधित विद्युत एवं जलापूिर्त की व्यवस्था होनी चाहिए।
५. नवीनतम पुस्तकों सहित चिह्नित ग्रंथालय संसाधन, भारतीय तथा अंतर्राष्ट्रीय जर्नल, ई- जर्नल, सभी विधाओ के लिए विस्तारित कार्य घंटे विभाग/ ग्रंथालय में शोधाथियोंं के पठन, लेखन के लिए पर्याप्त स्थान, अध्ययन तथा शोध सामग्री के भण्डारण की व्यवस्था होनी चाहिए।

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