वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों ने इस दौरान सड़क पर आने-जाने वाले वाहनों को पूरी तरह से रोक दिया था। हाथियों के गुजर जाने के बाद बनारस-अंबिकापुर मार्ग पर आवागमन शुरु हो सका।
अंबिकापुर-बनारस मार्ग पर मंगलवार की शाम 5 बजे के आसपास सूरजपुर वन परिक्षेत्र के ग्राम सोनगरा से 5 किमी दूर 6 हाथियों का दल पहुंच गया था। इस दल के पीछे हाथी विशेषज्ञ देहरादून के डब्ल्यूआईआई के अंकित कुमार व स्थानीय हाथी विशेषज्ञ प्रभात दुबे ट्रैकिंग करते हुए आ रहे थे।
सोनगरा के समीप एक महुआ लोड ट्रक जो पंचर हो गया था, उसके ड्राइवर व खलासी नीचे उतरकर वाहन का टायर खोलने का काम कर रहे थे। इसी दौरान ट्रक के पीछे अचानक हाथियों का यह दल पहुंच गया। यह देख अंकित कुमार व प्रभात दुबे ने दूर से सांकेतिक रूप से आवाज कर ड्राइवर व खलासी को सचेत किया और वहां से निकलने का इशारा किया।
आवाज सुनकर ड्राइवर व खलासी वहां से ट्रक को छोड़कर भाग खड़े हुए। इस दौरान दोनों तरफ से आ रहे वाहनों के चालकों को हाथियों के सड़क पर पहुंचने की जानकारी मिलने पर वाहनों को खड़ा कर दिया। इससे लगभग आधे घंटे अंबिकापुर-बनारस मार्ग पर आवागमन पूरी तरह से अवरूद्ध हो गया। जब हाथियों का दल वहां से गुजर गया तब आवागमन शुरू हो सका।
ट्रक में लोड महुआ को निकालने का किया प्रयास
खड़े ट्रक में महुआ लोड था। उसकी महक से हाथी बेचैन हो गए। उन्होंने ट्रक के चारों तरफ घूम-घूम कर उसमें लोड महुआ को निकालने का प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने ड्राइवर सीट की तरफ जाकर खिड़की भी खोलने का प्रयास किया। लेकिन उन्होंने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया और बाद में स्वयं जंगल की तरफ चले गए।
हाथी मेरे साथी का किया चित्रण
कभी लोगों ने हाथी मेरे साथी फिल्म देखी थी। उसमें हाथियों ने जो-जो हरकतें की थीं। बनारस मुख्य मार्ग में वो सभी हरकत हाथियों ने की। अंकित कुमार व प्रभात दुबे ने बताया कि हाथियों ने खड़े ट्रक में पंचर टायर को सूंड से निकाल दिया। इसके साथ ही ड्राइवर व खलासी द्वारा निकाले गए पेचकस व पाना को भी संूड से उठाकर देखा।
द्वंद रोकने किए जा रहे है प्रयास
सीसीएफ केके बिसेन द्वारा हाथी व इंसानों के बीच किए जा रहे प्रयास का आज अच्छा रिस्पॉंस मिल रहा है। हाथियों विशेषज्ञों द्वारा लगातार हाथियों के साथ चलकर उनके व्यवहार का स्टडी करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि मौसम के अनुसार उनके बदलते प्रयासों पर नजर रख लोगों को हाथियों के बदलते व्यवहार के आधार पर जागरुक किया जा सके।