हाथियों के कहर से अभी मैनपाट के लोग उबर भी नहीं पाए थे कि वन विभाग ने उनके साथ मुआवजा के नाम पर महज खानापूर्ति कर औपचारिकता निभा कर उन्हें दर-दर भटकने के लिए विवश कर दिया है। हाथियों ने जून व जुलाई माह में मैनपाट के कई क्षेत्रों में उत्पात मचाते हुए कई ग्रामीणों के मकान तोड़ डाले थे।
हाथियों के उत्पात की वजह से ग्रामीण भरी बारिश में बेघर होकर इधर-उधर भटकने को विवश हैं। ग्रामीण मकान टूटने के बाद मुआवजा के लिए न केवल अधिकारियों के घर का चक्कर काट रहे हैं, बल्कि कार्यालय तक दौड़ लगा रहे हंै लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि ग्रामीणों को तत्काल मुआवजा राशि उपलब्ध कराने का दावा करने वाले अधिकारीयों ने भी इनकी गुहार नहीं सुनीं।
आलम यह है कि इन प्रभावित ग्रामीणों को खानाबदोश की जिंदगी गुजारनी पड़ रही है। विभाग की अनदेखी से परेशान ग्रामीणों ने मंगलवार को कलक्टर से न्याय की गुहार लगाई है। ग्रामीणों का कहना है कि पूरा मकान टूटने के बाद उन्हें महज 20 से 22 हजार रुपए का मुआवजा दिया जा रहा है।
इसके साथ ही उन्होंने मांझी समुदाय के लोगों के साथ भी पक्षपात करने का आरोप लगाया है। ग्रामीणों का कहना था कि वन विभाग द्वारा कई मांझी परिवार के लोगों को महज दो हजार रुपए तक का मुआवजा दिया गया है। ग्रामीणों के सामने यह बड़ी समस्या है कि वे क्षतिग्रस्त मकान को कैसे बनाएं।
बस्तियों में घुसकर जमकर मचाया था उत्पात
जून व जुलाई माह में हाथियों के दल ने मैनपाट की अलग अलग बस्तियों में जमकर उत्पात मचाया था। हाथी रात होते ही बस्ती में घुस जाते थे और मकानों को तोडऩे के साथ ही उनके घर में रखे अनाज को चट कर देते थे। हाथियों के आतंक से ग्रामीणों की रात खुले आसमान के नीचे व दूसरों के घर में गुजरती थी।
इस दौरान वन विभाग ने प्रभावित ग्रामीणों को उनके नुकसान का उचित मूल्य देने की बात कही थी। वर्तमान में मैनपाठ से हाथी जा चुके है परन्तु अब भी हाथियों द्वारा मचाई गई तबाही से ग्रामीण उबर नहीं पाए है। मैनपाट के हाथी प्रभावित ग्राम बरिमा के लोहरान टिकरा, मंजुरतरई, भरेली सरना के ग्रामीण सरपंच देवसाय के नेतृव में कलक्टोरेट पहुंचे थे।
इस दौरान ग्रामीणों ने कलक्टर को लिखित शिकायत दी है। बरिमा सरपंच देवसाय का कहना है कि हाथियों ने उक्त बस्ती में यादव व मांझी समुदाय के लोग रहते है। हाथियों ने मकानों को नुकसान पहुंचाया तब वन विभाग ने उन्हें उचित मुआवजा दिए जाने का आश्वासन दिया था परन्तु बाद में हाथी प्रभावितों को जो मुआवजा राशि दी गई वह काफी कम है।
एक हिस्से को बता रहे हैं क्षतिग्रस्त
ग्रामीणों ने बताया की हाथियों ने उनके घर के एक हिस्से को तोड़ा है तो वन विभाग को वह टूटा हुआ हिस्सा ही नजर आ रहा है। जबकि हाथी के हमले से पूरा मकान क्षतिग्रस्त हो गया है और उसे तोड़ कर फिर से बनाना पड़ेगा। अधिकारी ग्रामीणों के घर के नुकसान का आंकलन करने नहीं पहुंचे और अपने हिसाब से मुआवजा राशि बना दी।