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इस यूनिवर्सिटी ने बीए सेकेंड इयर के 59 में से 58 विद्यार्थियों को एक ही विषय में किया फेल, कुलपति ने कहा ये

locationअंबिकापुरPublished: Jul 14, 2019 04:22:03 pm

अंग्रेजी भाषा में आए परिणाम को देख विद्यार्थियों (students failed) ने पकड़ लिया सिर, भूगोल के द्वितीय प्रश्न पत्र में भी अधिकांश विद्यार्थी फेल

College student failed

Students failed

अंबिकापुर. नए-नए कारनामों की वजह से संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय (Saint Gahira Guru university) हमेशा सुर्खियों में रहता है। इस बीच एक और मामला सामने आया है, पता नहीं परीक्षा की कॉपियां किस तरह जांची गई कि रामानुजनगर शासकीय महाविद्यालय के बीए द्वितीय वर्ष के 59 छात्र में से 58 अंग्रेजी भाषा में फेल (students failed) हो गए।
सिर्फ एक विद्यार्थी ही इस विषय में पास हो पाया, भूगोल के भी द्वितीय प्रश्न पत्र में अधिकांश विद्यार्थी अनुत्तीर्ण (students failed) हो गए। अब विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय पहुंचकर पुनर्मूल्यांकन की गुहार लगाई है।
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संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय पहुंचे रामानुजनगर शासकीय महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने बताया कि वर्ष 2019 में बीए द्वितीय वर्ष से 59 छात्र-छात्राएं नियमित परीक्षार्थी के रूप में वार्षिक परीक्षा में शामिल हुए थे। जब परीक्षा परिणाम आया तो मात्र एक को छोड़कर सारे 58 परीक्षार्थियों को अंग्रेजी भाषा में अनुत्तीर्ण (students failed) कर दिया गया है।
भूगोल के भी द्वितीय प्रश्न पत्र में भी अधिकांश विद्यार्थियों को अनुत्तीर्ण (students failed) कर दिया गया है, जबकि शेष अन्य विषयों में सभी विद्यार्थी उत्तीर्ण हैं। विद्यार्थियों ने भाजयुमो नेता रोचक गुप्ता के साथ कुलपति रोहिणी प्रसाद से गुहार लगाते हुए अंग्रेजी भाषा व भूगोल द्वितीय प्रश्न पत्र के उत्तरपुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन कराए जाने की मांग की है।
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मामले में कुलपति ने विद्यार्थियों को उचित पहल करने का भरोसा दिलाया है। ज्ञापन सौंपने के दौरान प्रतिमा, मंजू, देव सिंह, अर्जुन सिंह, अनिल, राजेश कुमार, जगेश्वर सिंह, जय सिंह, रीना, रूबी, अंजिला खलखो, सलिमा, सुनीता, फूलबसिया, यशवंती व अन्य विद्यार्थी उपस्थित थे।

विद्यार्थियों के भविष्य से होता रहा है खिलवाड़
कॉलेजों के वार्षिक परीक्षा के परिणाम में एक साथ कई विद्यार्थियों के फेल (students failed) हो जाने के कई मामले पूर्व में भी आ चुके हैं। इसके बावजूद विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं हो रहा है।
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कहीं न कहीं उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन में बरती जा रही लापरवाही विद्यार्थियों पर भारी पड़ रही है, क्योंकि पुनर्मूल्यांकन में समय बर्बाद होने के साथ ही आर्थिक नुकसान भी होता है।

यही नहीं कई बार ऐसे मौके भी आए हैं जब रिचेकिंग या पुनर्मूल्यांकन में नतीजे उलट आते हैं। ऐसे में तो यही कहा जा सकता है कि कांपियां ही ठीक से नहीं जांची जाती हैं।

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