हत्यारों के साथ प्रशासन भी सवालों के घेरे में बसपा नेता व आरटीआई एक्टिविस्ट राम चन्द्र जायसवाल की हत्या को लेकर प्रशासन पर भी सवाल उठने लगे हैं। पुलिस हत्यारों और हत्या के वजह का खुलासा अभी भले ही न कर सकी हो, लेकिन मृतक के परिवार की सांत्वना देने पहुंचे पूर्व आईजी अधिकारी ने अपने बयानों से सनसनी जरूर फैला दी है। सेवानिवृत्त आईजी ने स्पष्ट आरोप लगाया है कि राम चन्दर जयसवाल की हत्या आरटीआई मांगने के कारणों की गई है, क्योंकि इसमें शिक्षा विभाग, तहसीलदार और अल्पसंख्यक विभाग के कुछ अधिकारियों का भ्रष्टाचार उजागर हो रहा था।
उन्होंने कहाकि राम चन्दर एक आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में काफी सक्रिय थे और शिक्षा विभाग व राजस्व सम्बन्धी कई मामलों को लेकर आरटीआई दाखिल किया था, जिसमें लाखों रुपये का भ्रष्टाचार उजागर हो रहा था। मृतक राम चंद्र आरोप के परिवार से वार्ता करने के बाद उन्होंने स्पष्ट आरोप लगाया कि राम चन्द्र के आरटीआई मांगने से शिक्षा विभाग में तकरीबन 30 लाख रुपये का घपला सामने आ चुका है और राजस्व विभाग से मांगी गई सूचना में दो तहसीलदार आरोपो के घेरे में हैं, जिनपर सूचना आयोग ने जुर्माना भी किया था।
एक विद्यालय प्रबंधक पर है आरोप इस हत्याकांड का आरोप शुकुल बाजार स्थित एक विद्यालय में किये गए भ्रष्टाचार में शामिल विद्यालय प्रबंधक पर लगा है, जिसमे विद्यालय के प्रबंधक समेत कई लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा भी दर्ज कराया गया है। पूर्व आईजी ने बताया कि विद्यालय में भ्रष्टाचार को राम चन्द्र ने आरटीआई के जरिये खुलासा किया था। उन्होंने बताया कि इस मामले में डीएम ने राजस्व अधिकारियों के खिलाफ यहां तक लिखा था कि विपक्षी को फायदा पहुंचाने के लिए कार्रवाई की गई है। यही नहीं सूचना आयोग ने दो तहसीलदारों पर जुर्माना भी लगाया था। उन्होंने कहाकि शिक्षा विभाग और अल्पसंख्यक कल्याण के मिली भगत से लाखों रुपये का घपला हुआ है ,जिसके खुलासे के डर से इनकी हत्या की गई।