तंवर मुद्दे पर हुड्डा ने बदली रणनीति, अब पार्टी में रह कर ही विरोध
भूपेंद्र सिंह हुड्डा लंबे समय से कांग्रेस हाईकमान के साथ टक्कर ले रहे हैं। हुड्डा गुट के कई प्रयासों के बावजूद आजतक न तो अशोक तंवर ( Ashok Tanwar ) को बदला गया है और न ही हुड्डा की सिफारिश पर किसी विधायक को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अथवा विधायक दल का नेता बनाया गया है। मतलब साफ है कि हुड्डा गुट के किसी भी दबाव को हाईकमान ने अभी तक नहीं माना है। जिसके चलते हुड्डा ने हाईकमान ( Congress High Command ) के प्रति अंतिम दांव खेलने का मन बना लिया है। इसके तहत 18 अगस्त को रोहतक में महापरिवर्तन रैली का आयोजन करने का फैसला किया है।
रैली में साझा करेंगे रणनीति
इस रैली में लिए जाने वाले फैसले को सार्वजनिक करने से पहले हुड्डा ने शुक्रवार को दिल्ली में अपने गुट के विधायकों की बैठक बुलाई थी लेकिन सभी विधायकों के समय का अभाव होने का हवाला देने के चलते बैठक को रद्द कर दिया गया। बताया जाता है कि सुबह हुड्डा ( Hudda ) ने फोन पर अपने गुट के विधायकों के साथ बातचीत करके अपनी रणनीति पर मुहर लगवा ली है। जिसके अनुसार हुड्डा गुट का कोई भी विधायक कांग्रेस पार्टी को नहीं छोड़ेगा। सभी नेता कांग्रेस में रहकर ही कांग्रेस का विरोध करेंगे।
पर्दे के पीछे से होगा खेल
सूत्रों के अनुसार हुड्डा खुद फ्रंट पर न आकर अपने किसी बेहद करीबी को इस पार्टी का मुखिया बनाएंगे। आने वाले चुनाव में एनसीपी के बैनर तले समानांतर प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी हो चुकी है। चुनाव तक हुड्डा दोनों हाथों में लड्डू रखेंगे। इस बीच अगर कांग्रेस हाईकमान ने कोई फैसला नहीं लिया, तो हुड्डा हरियाणा में अपने समर्थकों को एनसीपी की टिकट पर चुनाव लड़वाएंगे। गौरतलब है कि हुड्डा-तंवर की लड़ाई राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहने तक चरम पर थी। पूरे कार्यकाल में राहुल हरियाणा के गुटीय संघर्ष को संभाल नहीं पाए। लगता है अब सोनिया गांधी को भी हरियाणा के इस संघर्ष में उलझना पड़ेगा।