खट्टर सरकार का गठन अक्टूबर 2014 में हुआ था और उनके साथ कई विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद उनके मंत्रियों ने मुख्यमंत्री पर दबाव बनाकर उन्हें भी मुख्यमंत्री की तर्ज पर मीडिया कंसलटेंट देने की मांग रखी थी। जिससे सरकार के कार्यों के प्रचार-प्रसार को और आगे बढ़ाया जा सके। इसी के चलते मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सभी मंत्रियों को सरकारी खर्च पर मीडिया कंसलटेंट रखने की अनुमति दे दी और दो मीडिया सलाहकार अपने पास भी रखे हुए हैं।
हरियाणा में खट्टर मंत्रिमण्डल में 13 मंत्री हैं जिनमें से एक मंत्री को छोड़कर बाकी सभी मंत्रियों के पास एक-एक सरकारी मीडिया कंसलटेंट हैं, जबकि मुख्यमंत्री के पास दो मीडिया सलाहकार हैं, जिन पर हर माह लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं। जबकि हरियाणा प्रदेश में जन सम्पर्क विभाग कार्यरत है, जिस पर प्रति वर्ष करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। उसके बावजूद भी सरकार को अपने जन सम्पर्क विभाग पर भरोसा नहीं है जिसके चलते मंत्रियों ने मीडिया कंसलटेंट के नाम पर अपनी पसंद के व्यक्ति को रखे हुए हैं। इस सबके बावजूद भी सरकार के कार्यों का समुचित प्रचार नहीं हो पा रहा है। सभी मंत्रियों ने सरकारी खर्च पर मीडिया कंसलटेंट रखे हुए हैं। जिन पर प्रति माह 35 से 40 हजार रुपए पारिश्रमिक के नाम पर खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी सरकार की विभिन्न योजनाएं कमजोर प्रचार-प्रसार के कारण दम तोड़ती नजर आ रही हैं।
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार के पिछले 4 साल की बात की जाए तो प्रचार-प्रसार में वैसे तो खट्टर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है मगर इसके बावजूद भी सरकार की छवि जनता की नजर में बहुत कमजोर है।
हरियाणा के एक मंत्री ने अध्यापक को बनाया अपना मीडिया सलाहकार – हरियाणा की खट्टर सरकार में मंत्री भी गजब हैं कि सरकार स्कूल में पढ़ाने वाले एक अध्यापक को बच्चों को ज्ञान देने वंचित कर अपना प्रसार-प्रसार के लिए मीडिया सलाहकार बना दिया। जिसकी प्रदेश भर में चर्चा है। देश में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक किसी शिक्षक को किसी मंत्री का मीडिया सलाहकार बनाया गया हो। रोचक तथ्य यह है कि मंत्री ने इसके लिए मुख्यमंत्री की मंजूरी भी ली। जिस अध्यापक को स्कूल में बच्चों को शिक्षा देनी थी, वह अध्यापक मंत्री के प्रचार-प्रसार के कार्य में जुटा हुआ है।