उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका में 26 अप्रेल को ‘जाने दो, मंथली वाले हैं’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार के बाद राजस्थान व हरियाणा सरकार और प्रशासन में हडक़म्प मच गया। कुछ दिन पहले यहां एक पुलिस अधिकारी का भी ओवरलोड डम्परों को पार कराने के एवज में रिश्वत लेते हुए वीडियो वायरल ुहुआ था। इसके साथ ही पत्रिका ने खुलासा करते हुए अधिकारियों की मिलीभगत को बेनकाब किया। उसके बाद अब खेड़ा बैरियर पर कोई नाका नहीं है। न कोई अवरोधक है। पूरे दिन ओवरलोड व सामान्य वाहन आते-जाते रहे। कोई पूछने वाला भी नहीं मिला।
करोड़ों की मिलीभगत इस एक अकेले नाके पर करोड़ों की हेराफेरी हर माह हो रही थी। ओवरलोड वाहन चलाने वाले ट्रांसपोट्र्स व अधिकारियों के बीच का खेल सालों से चल रहा था, जिसके पत्रिका ने उजागर किया। ट्रक व डम्पर चालकों से बातचीत की। नाके पर लगे अधिकारियों से मिले। ट्रांसपोट्र्स की बात जानी। कई जगहों से खास जानकारियां जुटाई। इसके बाद यह खुलासा किया था कि कोटपूतली से खेड़ा बैरियर और आगे हरियाणा में ओवरलोड ट्रक व डम्परों को पार करने में बड़ी मिलीभगत हो रही है।
उद्देश्य नहीं हो रहा था पूरा ओवरलोड वाहनों को रोकने का उद्देश्य यह था कि हाईवे पर दुर्घटनाएं नहीं हों। सडक़ क्षतिग्रस्त नहीं हो। यातायात सुचारू रहे। लेकिन जब से खेड़ा बैरियर नाका लगाया, उसके बाद से ही यहां अवैध वसूली जमकर होती रही जिसकी कई बार शिकायतें हुई। कई बार अधिकारी रंगे-हाथों पकड़े भी गए। फिर भी नाका चलता रहा। अब इस नाके से पूरा सामान हटा लिया है।