सरिस्का बाघ परियोजना में एक के बाद एक बाघों की मौत होती रही, लेकिन न तो सरकार के मुखिया और न ही मंत्री ने सरिस्का आकर बाघों की सुध ली। इसी का नतीजा है कि गत 8 जून को सरिस्का में बाघ एसटी-16 की मौत के सवा महीने बाद भी अब तक सरकार किसी अधिकारी व कर्मचारी की जिम्मेदारी तय की जा सकी है।
सरिस्का आए बिना कर डाली जांच sariska tiger news बाघ एसटी-16 की मौत के बाद राज्य सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को मामले की प्रशासनिक जांच के निर्देश दिए थे। जांच एक महीने में पूरी की जानी थी। जांच में बाघ की मौत के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय किए जाने के साथ ही मौत के कारणों का पता लगाना था। सरकार को जांच सौंपे एक महीना हो गया, लेकिन अब तक जांच पूरी नहीं हो पाई है। प्रशासनिक जांच करने वाले अधिकारी एक बार भी सरिस्का नहीं आए हैं। सूत्रों का कहना है कि जयपुर में ही उन्होंने प्रकरण से जुड़ी जानकारी एकत्र की।
एसटी-1 मरा तब मुख्यमंत्री आए थे सरिस्का सरिस्का में पूर्व में बाघ एसटी-1 की मौत होने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व तत्कालीन वन मंत्री तुरंत ही घटना की जानकारी लेने सरिस्का पहुंचे थे। बाघ एसटी-1 की मौत के दौरान जांच की गति भी इतनी तेज थी कि घटना के 10 दिन बाद ही बाघ की मौत के लिए तत्कालीन डीएफओ व एसीएफ को निलम्बित कर दिया गया। सरिस्का में बाघ एसटी-1 के बाद बाघ एसटी-11, बाघिन एसटी-5, बाघ एसटी-4 व बाघ एसटी-16 की मौत हो चुकी है, लेकिन सरकार के किसी नुमाइंदे ने सरिस्का आकर खबर नहीं ली।