प्रचार अभियान के पहले चरण में प्रमुख प्रत्याशियों का जोर गांवों में जनसम्पर्क पर है। गांवों में पहुंच रहे प्रत्याशियों का ग्रामीण सत्कार तो कर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग चुनावी रुख की थाह देने से बच रहे हैं। हालांकि प्रत्याशियों के समर्थक व कार्यकर्ता बातों ही बातों में लोगों का रुख भांपने का प्रयास करने में पीछे नहीं है, लेकिन वे वोट को लेकर रुख साफ करने से बच रहे हैं।
चौपालों पर चर्चा, नेताओं के दौरे भी चुनाव प्रचार को गति देने के लिए प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता दौरे कर रहे हैं, गांवों व कस्बों में चौपालों में चुनाव की गूंज तो सुनाई पड़ती है, लेकिन वह भी नेताओं या प्रत्याशियों के दौरे से बाहर नहीं निकल पा रही है। वैसे कांग्रेस ने रामगढ़ क्षेत्र में पीसीसी व डीसीसी से सेक्टर इंचार्ज लगाएं हैं, लेकिन मुख्य भूमिका में ज्यादातर स्थानीय नेता ही दिखाई पड़ रहे हैं। वहीं भाजपा व बसपा में भी ज्यादातर स्थानीय नेताओं की प्रचार में भागीदारी दिखाई पड़ रही है।
इनका कहना है चुनाव को लेकर मतदाता जागरुक है, लेकिन प्रत्याशी क्षेत्र की समस्याओं पर बात नहीं कर रहे और केवल वोट मांगने तक ही सीमित है। ऐसे में आखिर समय में निर्णय करेंगे।
महावीर प्रसाद जैन, व्यापारी
बसपा ने पूर्व विधायक को उतार चुनाव की नीरसता समाप्त करने की कोशिश की है, लेकिन क्षेत्र के मुददों को लेकर प्रत्याशी कुछ नहीं बोल रहे। जिससे मतदाता अभी असंमजस्य में है।
प्रेम विजयवर्गीय, किराना व्यवसायी
विधानसभा चुनाव लडे जाते हैं क्षेत्र की समस्या व मुख्य मुददों पर, लेकिन प्रत्याशी मुददों को गौण कर केवल चुनाव जीतने पर ही ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। यह प्रजातंत्र के लिए व क्षेत्र के लिए शुभ नहीं है।
आशाराम, बुजुर्ग।