चिकित्सा अलवर जिला मुख्यालय पर चिकित्सा सुविधा के नाम पर जिला अस्पताल है, लेकिन इनमें विशेषज्ञ सुविधाओं क अभाव है। वैसे तो यहां करीब 800 करोड़ की लागत से एमआईए में ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज भवन का निर्माण कराया है, वहीं राज्य सरकार भी अलवर में मेडिकल कॉलेज की घोषणा कर चुकी है, लेकिन दोनों ही मेडिकल कॉलेज अब तक शुरू नहीं हो पाए हैं। ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज में केवल 100 बैड का अस्पताल चल रहा है। वहीं डिस्पेंसरी की हालत भी खराब है। महिला अस्पताल में सोनोग्राफी की सुविधा नहीं मिलने प्रसूताओं को सडक़ पर आना पड़ा।
पेयजल अलवर शहर में पेयजल समस्या गर्मी ही नहीं, बल्कि पूरे साल लोगों की परेशानी का कारण है। पेयजल लाइन डालने के नाम पर करोड़ों खर्च कर दिए, लेकिन पानी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए प्रयास नहीं हुए। चम्बल का पानी आने की उम्मीद अभी अधूरी है।
शिक्षा शिक्षा के नाम पर अलवर शहर में खास काम नहीं हो पाया। राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय अब भी किराए के भवन में संचालित हो रहा है। वहीं कॉमर्स कॉलेज के जमीन का मुद्दा अभी अधरझूल में हैं। पटरी पार इलाके में बालिकाओं के लिए सीनियर सैकंडरी स्कूल खुलने का अब भी इंतजार है।
अतिक्रमण व गंदगी शहर के प्रमुख बाजार ही नहीं गली मोहल्लों में भी अतिक्रमण पसरा है। हर माह लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी शहर के मुख्य बाजार व मोहल्लों में गंदगी पसरी है, वहीं दिन भर में कचरा भी नहीं उठ रहा।
अधूरे काम आचार संहिता लागू होने से पूर्व कुछ काम शुरू कराए गए, जो कि पूरे नहीं हो पाए, इनके कारण भी शहर में विकास के काम अधूरे से नजर आते हैँ