जबकि आसपास की कॉलोनियों के हालात बद से बदतर हैं। सडक़ें तो चारों तरफ टूटी पड़ी हैं बल्कि कचरे से भी बदहाली छायी हुई है। गलती से या हकीकत जानने के लिए मुख्यमंत्री का रूट बदल दिया गया तो असलियत सामने आ जाएगी। जिसका खमियाजा प्रशासन व पार्टी के जिम्मेदारों पर भी गाज गिर सकती है।
रेलवे स्टेशन से निकली तो मुश्किल हो जाएगा रेलवे स्टेशन से काली मोरी रोड से मुख्यमंत्री निकली तो जिम्मेदार विभागों के अधिकारियों का दम निकल जाएगा। यदि यह पता कर लिया कि इस तरह रोड की हालात कितने दिनों से बनी हुई है। भले ही सडक़ बनाने का कार्य चल रहा है लेकिन यहां पर करीब एक माह से अधिक समय से जनता परेशान है।
पुराने मोहल्लों में कचरा नहीं उठ रहा शहर में मीणा पाडी, पहाड़ गंज, वार्ड चार, वार्ड पांच, धोबी गट्टा, फतह सिंह गुम्बद सहित अधिकतर कच्ची बस्ती, पुराने मोहल्लों में कचरे व सीवर की गंदगी से जनता परेशान हैं। यहां न डोर टू डो कचरा संग्रहण होता है न नालियों की सफाई हो रही है। कागजों में जरूर सब जगहों पर डोर टू डोर कचरा संग्रहण दिखाया जा रहा है।