इनका कहना है पहले घर की बहु-बेटियों को बाबाओं के सामने नहीं भेजा जाता था। घर की बुजुर्ग महिलाएं जो घर परिवार की जिम्मेदारी पूरी कर लेती थी वो ही मंदिरों और आश्रमों में जाती थी। इसलिए बाबाओं के प्रकरण सामने नहीं आए। हाल ही में जो मामले आए हैं उनमें युवतियां ही कारण बनी है। क्योंकि इनको देखकर बाबाओं की नजर बिगड़ती है।
गोवर्धन सिंधी, व्यवसायी
गोवर्धन सिंधी, व्यवसायी
ऐसा लगता है कि 2017 व 2018 का समय देश में नई चेतना के लिए ही आया है। एक के बाद एक इन बाबाओं के पाप सामने आए हैं। यदि इनके पाप सामने नहीं आते तो देश की कितनी ही महिलाएं इनका शिकार हो जाती। समाज में अंधानुकरण की दौड इसकी वजह है । पढ़ी लिखी महिलाएं भी इसकी शिकार हो रही हैं।
राजश्री अग्रवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता
राजश्री अग्रवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता
पहले संयुक्त परिवार हुआ करते थे। अंजान आदमी के सामने घर की बहू बेटियों को नहीं भेजा जाता था। लेकिन आज कल सिंगल फेमिली में नई बहु-बेटियां और उनके बच्चे बाबाओं के पास आते जाते हैं। इसलिए बाबाओं पर इनकी गंदी नजर पड़ती है। इन मामलों को संजीदगी से देखना चाहिए। हमें भगवान पर भरोसा करना चाहिए।
इंद्रा देवी, गृहणी, खुदनपुरी
इंद्रा देवी, गृहणी, खुदनपुरी
मनुष्य को अपने कर्म और भाग्य पर विश्वास करना चाहिए। जो महिलाएं परेशान होती है वो ही बाबाओं की शरण में जाती है। वहां उनका शोषण होता है। यहां एक बार यदि उनकी समस्या का समाधान हो जाता है तो महिलाओं की आस्था बढ़ जाती है। लेकिन बाद में इनका शोषण होता है। इसलिए बाबाओं से दूर रहने में ही भलाई है।
गरिमा शर्मा, वर्र्किंग वुमन
गरिमा शर्मा, वर्र्किंग वुमन