इस बार पुरुषोत्तम मास होने के कारण यह एकादशी करीब 20 दिन देरी से आ रही है इसलिए तापमान पिछले सालों की अपेक्षा कम गर्म रहेगा। श्रद्धालुओं को व्रत रखने में आसानी रहेगी। वर्ष 2016 में यह एकादशी 16 जून को आई थी। इसदिन अलवर का तापमान करीब 42 डिग्री था, जबकि वर्ष 2017 में यह एकादशी 5 जून को आई थी इस दिन भी अलवर का तापमान करीब 43 डिग्री था। इस बार अभी अधिकतम तापमान 37 डिग्री व न्यूनतम तापमान 31 डिग्री चल रहा है। देरी से आने की वजह से तापमान कम रहेगा। मौसम में ठंडक भी रहने की उम्मीद है। सबसे श्रेष्ठ है निर्जला एकादशीहिंदू शास्त्रों के अनुसार साल में 24 एकादशी होती है।
सभी एकादशियों का अपना अलग अलग महत्व हैं। इसमें सबसे श्रेष्ठ एकादशी निर्जला एकादशी मानी गई है। इसमें श्रद्धालु दिन भर बिना पानी पीए हुए उपवास करते हैं। भगवान विष्णु का ध्यान व स्मरण करते हैं। यदि साल भर एकादशी का व्रत नहीं कर पाए तो इस एकादशी को करने से सभी एकादशियों का पुण्य मिल जाता है। स्कंद पुराण व पदम पुराण में बताया गया है कि इस एकादशी को करने से मनुष्य जीवन से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन मंदिरों में दान पुण्य का विशेष महत्व होता है।
इस दिन मंदिरों में भगवान को जल से भरा कलश, पंखी आदि का दान किया जाता है। इसके साथ ही जगह जगह पर पानी की प्याऊ भी लगाई जाती है। शालीग्राम का पूजन है विशेषइस एकादशी को पांडव पुत्र भीम ने भी किया था इसलिए इसे भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है। महताब सिंह का नोहरा निवासी पंडित यज्ञदत्त शर्मा ने बताया कि निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा पाने के लिए शालिग्राम की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व माना गया है। इसलिए अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए निर्जला एकादशी का व्रत अवश्य ही करना चाहिए।