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जानिए क्यों नहीं लग पा रहा बाघ के रेडियो कॉलर

locationअलवरPublished: Nov 02, 2018 10:57:45 pm

Submitted by:

Prem Pathak

अलवर. बाघ एसटी-15 के सघन वन में ओझल होने से सरिस्का प्रशासन नई तकनीक की वीएचएफ रेडियो कॉलर विद जीपीएस लगाना संभव नहीं हो पा रहा है। जर्मनी से नई तकनीक के रेडियो कॉलर मिलने के बाद पहला रेडियो कॉलर बाघ एसटी-15 को लगाया जाना है।

Know why the tiger's radio collar can not be seen

जानिए क्यों नहीं लग पा रहा बाघ के रेडियो कॉलर

सरिस्का में बाघ-बाघिनों को वीएचएफ रेडियो कॉलर विद जीपीएस लगाए जाने हैं। इसके लिए सबसे पहले बाघ एसटी-15 का चयन किया गया है, लेकिन यह बाघ गत एक सप्ताह से सरिस्का कर्मियों को नहीं मिल पा रहा है। इस दौरान एक-दो बार बाघ दिखाई जरूर दिया, लेकिन एेसे स्थान पर जहां उसे ट्रंक्यूलाइज कर पाना संभव नहीं था।
सघन वन में घूम रहा बाघ

बाघ एसटी-15 इन दिनों टहला रेंज के सघन वन क्षेत्र में है। गत दो-तीन दिनों से वनकर्मियों की टीम बाघ को ढूंढने में जुटी है, लेकिन वह मिल नहीं पाया है।
चिकित्सक को भी रखा तैयार

रेडियो कॉलर लगाने के लिए जयपुर में चिकित्सक को भी ऑन कॉल रखा गया है। कुछ दिन पूर्व चिकित्सक सरिस्का आ भी चुके हैं, लेकिन बाघ के नहीं मिल पाने के कारण वे वापस जयपुर लौट गए।
आठ रेडियो कॉलर हैं लगाने

जर्मनी से सरिस्का में आठ रेडियो कॉलर आए हैं। इन्हें प्राथमिकता के आधार पर बाघ-बाघिन को लगाना है। ये रेडियो कॉलर पूर्व में बाघों के लगे कॉलर से उन्नत तकनीक के हैं। इन रेडियो कॉलर में जीपीएस लगा है। इसका लाभ यह होगा कि बाघ या बाघिन जंगल में जहां भी जाएगा, उसकी लोकेशन मिलती रहेगी। सरिस्का में बैठे-बैठे अधिकारी देख सकेंगे कि बाघ किस जंगल की ओर घूम रहा है।
वीएचएफ रेडियो कॉलर से नहीं लग पाता था पता

पूर्व में बाघों के लगे वीएचएफ रेडियो कॉलर से बाघों की सही लोकेशन का पता लगा पाना संभव नहीं था। पूर्व में सरिस्का में गायब हुई और बार में शिकारियों के हत्थे चढ़ी बाघिन एसटी-5 के वीएचएफ रेडियो कॉलर लगा था, फिर भी बाघिन के गायब होने का पता नहीं चल सका। इतना ही नहीं बाघिन का शिकार होने के बाद भी सरिस्का प्रशासन कई महीनों तक उसे ढूंढता रहा। इसका कारण था कि रेडियो कॉलर से बाघिन की लोकेशन ही नहीं मिल पा रही थी। बाघ एसटी-11 के तार के फंदे में फंसने तक सरिस्का प्रशासन को उसकी सही लोकेशन का पता नहीं चल पाया। बाघ के शिकार होने के बाद ग्रामीणों की सूचना पर उसे बाघ के शिकार का पता चल सका। जबकि बाघ एसटी-11 को भी वीएचएफ रेडियो कॉलर लगा था।
रेडियो कॉलर के लिए बाघ की तलाश जारी

जीपीएस तकनीक के रडियो कॉलर लगाने के लिए जंगल में बाघ एसटी-१५ की तलाश की जा रही है। बाघ के मिलने पर उसे रेडियो कॉलर लगाया जाएगा।
हेमंत सिंह

डीएफओ,

सरिस्का बाघ परियोजना

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