काली मोरी फाटक के सामने शहर में काली मोरी फाटक के सामने बने कियोस्क में शराब का ठेका खोल दिया है। बड़े-बड़े अक्षरों में दुकान के बाहर लिखा है शराब का ठेका। जबकि शराब का कोई भी ठेका लेने के लिए कई लाख रुपए अमानत राशि जमा करानी पड़ती है। शराब का ठेका लेने की गरीब सोच भी नहीं सकता। लेकिन शराब के ठेके चलाने वालों ने सस्ते किराए के कारण कियोस्क को किराए पर लिया है। कियोस्क के सामने ही रेलवे लाइन है।
किसी ने बेच दी, किसी ने किराए पर यूआईटी ने गरीबों को इस शर्त पर कियोस्क आवंटित किए थे कि उनमें खुद का स्वरोजगार करेंगे। किसी को किराए पर या बचेंगे नहीं। अब अधिकतर जगहों पर कियोस्क किराए पर दे दिए। बहुत से आवंटियों ने कियोस्क बेच भी दिए। ईटाराणा पुल के नीचे बनाए गए कियोस्क कोई काम नहीं आ रहे हैं। जिन जगहों पर कियोस्क चलने लगें वहां खरीद-फरोख्त हो रही है।
450 कियोस्क आवंटित हुए वर्ष 2001 में काली मोरी फाटक, अग्रसेन सर्किल के पास, बसंत बिहार पार्क के पास, जेल के पास, कलक्ट्रेट रोड, रघु कॉम्पलेक्स के पास, 160 फीट रोड पर करीब 450 कियोस्क बनाकर आवंटित किए गए। ये कियोस्क केवल 6 हजार रुपए में दिए गए। यह राशि भी किश्तों में जमा कराई गई।
——–
——–
नोटिस देने की तैयारी
हमें एक दिन पहले ही इसकी जानकारी मिली है। कियोस्क संचालक को नोटिस देने की तैयार कर ली है। ये कियोस्क स्वरोजगार के उद्देश्य से गरीब परिवारों को आवंटित किए गए हैं। शराब का ठेका चलाना गलत है।
हमें एक दिन पहले ही इसकी जानकारी मिली है। कियोस्क संचालक को नोटिस देने की तैयार कर ली है। ये कियोस्क स्वरोजगार के उद्देश्य से गरीब परिवारों को आवंटित किए गए हैं। शराब का ठेका चलाना गलत है।
तैयब खान, एक्सईएन, यूआईटी अलवर
स्वरोजगार का उद्देश्य ये कियोस्क गरीब परिवारों को स्वरोजगार करने के लिए केवल छह हजार रुपए में आवंटित किए थे। अब कहीं बेच दिए कहीं किराए पर दे रहे हैं। यह गलत है।
जगदीश बेनीवाल, पूर्व यूआईटी अध्यक्ष, अलवर
स्वरोजगार का उद्देश्य ये कियोस्क गरीब परिवारों को स्वरोजगार करने के लिए केवल छह हजार रुपए में आवंटित किए थे। अब कहीं बेच दिए कहीं किराए पर दे रहे हैं। यह गलत है।
जगदीश बेनीवाल, पूर्व यूआईटी अध्यक्ष, अलवर