खनन विभाग की ओर से अलवर जिले बजरी की एक भी स्वीकृत लीज नहीं है। इतना ही नहीं किसी भी खातेदार ने भी अपनी भूमि में बजरी के लिए पट्टा नहीं लिया है, इसके बावजूद गांव, कस्बों एवं जिला मुख्यालय पर निर्माण कार्यों के लिए बजरी की कमी नहीं है। खास बात यह कि जिला मुख्यालय पर जयसमंद के आसपास सहित अनेक स्थानों पर बजरी का अवैध खनन जारी है, लेकिन इन तक किसी जिम्मेदार विभाग व प्रशासन की नजर नहीं पहुंच पाई। इतना नहीं दिन व रात के समय बजरी भरे ट्रैक्टर ट्रॉली व ट्रक आते-जाते दिखाई देते हैं, लेकिन रास्ते में पडऩे वाले पुलिस थानों, चौकियों व चैक पोस्ट पर जिम्मेदार अधिकारियों की नजर नहीं पड़ी रही।
दूर से आ रही बजरी, नजर किसी की भी नहीं अलवर जिले में बजरी की खपत अन्य जिलों से ज्यादा है। जिले में औद्योगिक क्षेत्र, व्यावसायिक व रिहायशी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में निर्माण चल रहे हैं। वहीं सरकारी स्तर पर भी बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य जारी है। इन निर्माण कार्यों के लिए बजरी जरूरी है। अवैध तरीके से खनन से निकलने वाली बजरी से अलवर जिले की जरूरत पूरी नहीं हो पाती, इस कारण समीपवर्ती बांदीकुई, दौसा, सवाई माधोपुर सहित अन्य समीपवर्ती जिलों से बजरी अवैध तरीके खनन कर लाई जाती है।
जिम्मेदारी सबकी, कार्रवाई में पीछे
जिले में बजरी के अवैध खनन व परिवहन पर रोक की जिम्मेदारी खनन, पुलिस, वन, परिवहन एवं प्रशासन की है, लेकिन कार्रवाई खनन व वन विभाग की ओर से कभी कभार कुछ ट्रैक्टर ट्रॉली जब्त करने तक सीमित रहती है। बजरी के अवैध खनन व परिवहन पर रोक के लिए इन विभागों की संयुक्त टीम बनाकर कार्रवाई करनी थी, लेकिन टीम की कार्रवाई का इंतजार ही है। जिले में बढ़ते अवैध बजरी खनन ने भ्रष्टाचार की राह भी आसान की है।
सभी विभागों को समन्वय से कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं। गत साप्ताहिक बैठक में जिला पुलिस अधीक्षक ने भी सभी विभागों को कहा है कि अवैध खनन, अवैध परिवहन या अन्य अनैतिक गतिविधियों पर रोक के लिए संबंधित विभाग पुलिस को सूचना दें, वहीं प्रशासनिक अधिकारियों को भी स्वयं की मौजूदगी व स्वीकृति में अनैतिक कार्रवाई पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं।
इंद्रजीत सिंह, कलक्टर अलवर