सुमित अरोड़ा इन दिनों दीपावली मनाने अपने ससुराल अलवर में प्रकाश तौलानी, सरिता तौलानी व इन्द्र कुमार तौलानी के यहां आए हुए हैं। इनका कहना है कि वे प्रति वर्ष दीपावली मनाने मुम्बई से अलवर आते हैं।
अलवर आकर लगता है कि जैसे यहां इंसान सुकून भरे दिन गुजार सकते हैं। यहां इस बार दीपावली पर अच्छी सजावट की गई थी।अलवर के शिमला में जो रोशनी व सजावट की गई जिससे इसका रूप निखर कर सामने आया। यदि शिमला, सीलिसेढ़, बाला किला की मार्केटिंग की जाए तो यहां पर्यटकों की संख्या कई गुना और बढ़ सकती है। यहां के पर्यटक स्थलों को विकसित करने की आवश्यकता है।
अलवर आकर लगता है कि जैसे यहां इंसान सुकून भरे दिन गुजार सकते हैं। यहां इस बार दीपावली पर अच्छी सजावट की गई थी।अलवर के शिमला में जो रोशनी व सजावट की गई जिससे इसका रूप निखर कर सामने आया। यदि शिमला, सीलिसेढ़, बाला किला की मार्केटिंग की जाए तो यहां पर्यटकों की संख्या कई गुना और बढ़ सकती है। यहां के पर्यटक स्थलों को विकसित करने की आवश्यकता है।
किसी को हंसाना कठिन काम सुमित अरोड़ा का कहना है कि मैंने अपनी शिक्षा जयपुर में प्राप्त की। जयपुर में स्कूल शिक्षा के दौरान खूब नुक्कड़ नाटक किए और रंगमंच की बारीकियों को सीखा। मेरे लिए जयपुर मेरी जन्म भूमि के साथ मुझे नई दिशा देने वाली जगह रही। मैं 2003 में मुम्बई चला गया और वहां ट्राई किया। मैँ एक बार बार तो निराश हो गया लेकिन मेरी मां ने मुझे हिम्मत नहीं हारने की सीख दी। मुझे पवित्र रिश्ता सीरियल में नेगेटिव रोल मिला ओर इसके बाद चिडिय़ाघर में गोमुख के रोल ने मुझे फेमस कर दिया। आज भी मेरी पहचान गोमुख से है जो मेरे अभिनय की जीत है। मैंने दक्षिण भारत की कई फिल्मों व सीरियलों में भी काम किया है। यह सही है कि किसी को हंसाना बहुत कठिन है। हास्य धारावाहिक में सभी पात्रों पर बहुत बड़ी जिम्मेवारी है। अलवर में मैं बार-बार आना चाहता हूं। अलवर से मुझे
स्नेह है।
स्नेह है।