गौरतलब है कि पिछले कई सालों से अस्पताल में चूहों का आतंक मचा हुआ है। ऐसे में कई बार चूहे पकडने के लिए टेंडर भी दिए जा चुके हैं। लेकिन इसके बाद भी आज तक समस्या जस की तस बनी हुई है। जैसे ही सर्दियां शुरु होती हैं चूहों की संख्या अचानक से बढ़ जाती है।अस्पताल के वार्डो में चूहों की रोकथाम के कोई प्रबंध नहीं किए गए हैं। वार्डो की खिड़कियों में से ये चूहे अंदर प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे में कभी कपड़े कुतर जाते हैं तो कभी खाने पीने के लिए लाए गए फलों में मुंह लगा जाते हैं। ऐसे में यदि प्रसूता इस सामान को खाती है तो उसे संक्रमण होने का डर रहता है। डाक्टर के निर्देशानुसा प्रसुताओं को बिस्किट खाने के लिए दिया जाता है, लेकिन जैसे ही नींद का झटका आता है वो पैकेट ही गायब मिलता है।
अस्पताल में भर्ती प्रसुताओं व गर्भवती महिलाओं के परिजनों ने बताया कि लाल रंग का मोटा बिलाऊ शिशुओं के आसपास मंडराता रहता है। बिलाव को नवजात शिशु की खुशबू आती हैं, जिससे वह उसे काटने की कोशिश करती हैं। ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि यदि शिशु के आसपास बिल्ली का बाल भी गिर जाए तो उसके बीमार होने का खतरा रहता है। जनाना अस्पताल में करीब 250 बैड है।
जनाना अस्पताल में चूहों का आतंक अक्सर रहता है। इसके लिए मरीज के परिजन अधिक जिम्मेदार हैं वो खाने पीने का सामान इधर उधर पटक देते हें। जिससे चूहें और बिल्ली यहां मंडराते रहते हैं। चूहों को पकडने के लिए पहले भी टेंडर दिए गए हैं। अब फिर से परेशानी आई तो समाधान किया जाएगा।
डा. भगवान सहाय, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, अलवर
डा. भगवान सहाय, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, अलवर