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विकास में भरतपुर से भी पीछे रहने की खबर के बाद अलवर वासियों ने दी यह राय, आप भी जानिए

locationअलवरPublished: Aug 11, 2018 10:50:46 am

Submitted by:

Prem Pathak

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Alwarites Reaction on Alwar behind from bharatpur in development

विकास में भरतपुर से भी पीछे रहने की खबर के बाद अलवर वासियों ने दी यह राय, आप भी जानिए

अलवर जिला एनसीआर मे भले ही कई साल पहले शामिल हो चुका हो, लेकिन विकास की दृष्टि से पड़ोसी जिले भरतपुर से काफी पीछे है। संभाग मुख्यालय सहित रेल और बस सेवाओं में भी भरतपुर अलवर से कहीं आगे है। इन सब के पीछे अहम कारण जिले का कमजोर नेतृत्व है। नेताओं की कोरी नेतागिरी और कमजोरी के कारण अलवर आज तक संभाग मुख्यालय नहीं बन पाया। न मेडिकल कॉलेज चालू हो पाया और न ही चम्बल का पानी नसीब हो सका है। जब इस बारे में जनता से बातचीत की गई तो कुछ एेसी ही प्रतिक्रिया सामने आई। पेश है अलवर को लेकर राजनीतिक बेरुखी और कमजोरी जनता की जुबानी।
नेताओं की कमजोरी

स्थानीय नेताओं की कमजोरी के कारण अलवर का वो विकास नहीं हो पा रहा है, जो सही मायने में होना चाहिए। यदि यहां के विधायक और सांसद राज्य व केन्द्र सरकार के समक्ष पुरजोर तरीके से जनता की मांग को रखें तो जिले के विकास को पंख लग सकते हैं। अलवर में मेडिकल कॉलेज भी खुल सकता है और जनता को चम्बल का पानी भी नसीब हो सकता है।
महेश तंवर, व्यवसायी, अलवर।
अलवर के विकास की आवश्यकता और बढ़ गई है। इस समय एक बार फिर अलवर आगे बढऩे की बजाए पिछड़ रहा है। भरतपुर का विकास अलवर से अधिक हुआ है। अलवर जिले के सभी जन प्रतिनिधियों को एक मंच पर आकर कार्य करना होगा।
इम्तियाज खान, युवा।
अलवर का विकास अब थम गया है। भरतपुर के विकास का एक ही राज है कि वहां जिले के विकास के लिए सब एक जाजम पर आ जाते हैं। यहां जिले के विकास की परवाह कम नेताओं को ही है। अब तो सभी को अलवर के विकास की चर्चा करनी चाहिए।
नरेन्द्र सिंह, युवा।
नहीं दिख रहा विकास

केन्द्र और राज्य की सरकारों का कार्यकाल पूरा होने को है, लेकिन जिले में कहीं भी विकास नजर नहीं आता। जिले से सत्तारुढ़ दल के नौ विधायक होने के बावजूद अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है। इस दौरान जरुरत थी केन्द्र व राज्य में जिले के जनप्रतिनिधियों को एकजुटता दिखाकर अलवर के विकास के लिए बड़े प्रोजेक्ट लाने चाहिए थे, लेकिन हुआ उल्टा।
राजेन्द्र सिंह राठौड़, व्यवसायी।
अलवर के विकास पर ग्रहण लग गया है। अलवर के नेता आपसे में ही लड़ते रहे जिसका खामियाजा अलवर वासियों को उठाना पड़ रहा है। अलवर के नेताओं को एक मंच पर आना होगा यदि यहां का विकास करना है तो। नहीं विकास संभव नहीं
मास्टर प्यारे सिंह, शिक्षाविद्।
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