पटरियों के नीचे भी बिल बना लेने से पटरियों की सुरक्षा को खोखला कर देने वाले चूहों को पकडऩा रेलवे प्रशासन के लिए चुनौती बन गया था। जिसके डर के कारण रेलवे प्रशासन ने बड़े स्तर पर चूहों को पकडऩे के लिए पिंजरे लगाने का ठेका दिया। जिसके तहत अलवर जंक्शन पर भी हर कक्ष में पिंजरे लगाए गए। ताकि चूहों को जल्दी से जल्दी पकड़ा जा सके। चूहे पिंजरे में गिने-चुने भी नहीं फंसे। जिसके कारण आखिर में बिलों में दवा डालकर चूहों पर काबू पाया गया है।
रेलवे के कर्मचारी व अधिकारियों ने बताया कि इस समय जंक्शन पर चूहे नहीं के बराबर हैं। अधिकतर दवा डालने के बाद खत्म हो गए। तभी नजर नहीं आते हैं। नुकसान कर रहे मोटा चूहे जंक्शन पर कई तरह के तार व अन्य सामान को काटने के कारण रेलवे अधिकारी व कर्मचारियों को पूरा ध्यान रखना पड़ता है। इसके अलावा सामान को काट देते हैं।
यहां खाद्य पदार्थों की स्टाल में भी चूहे सामान कुतरने लग गए थे। जिसे देखते हुए रेलवे प्रशासन ने पिंजरे लगाने काकदम बढ़ाया। मच्छर-मक्खी भी अब कम चूहों के बिलों में दवा डालने के साथ मच्छरों को मारने की दवा का भी बराबर छिडक़ाव किया जा रहा है। उसके बाद जंक्शन पर मच्छर-मक्खी से काफी राहत मिली है।