अलवर जिले में सिंचाई के लिए 129 बांध हैं, इनमें जल संसाधन विभाग के अधीन 22 बांध हैं। इन बांधों में 300 हैक्टेयर तक सिंचाई क्षमता के 107 बांधों को ग्राम पंचायत व पंचायत समितियों को हस्तांतरित किया जा चुका है। इनमें भी जयसमंद बांध भराव क्षमता की दृष्टि से तीसरा बड़ा बांध है।
alwar jaysamand dam news बारा वीयर व सिलीसेढ़ की उपरा से आता है पानी जयसमंद alwar jaysamand dam news बांध में पानी की मुख्य आवक बारा वीयर व सिलीसेढ़ झील के ओवर फ्लो पर होती है। बारा वीयर में सिल्ट होने से पानी की आवक रुक सी गई है। पूर्व महाराजा जयसिंह एवं कृष्णसिंह के बीच बारा वीयर पानी के बंटवारे को लेकर समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत बारा वीयर में आने वाले पानी का करीब 53 प्रतिशत हिस्सा भरतपुर एवं 47 प्रतिशत अलवर को मिलना था। बारिश के दिनों में समझौते के मुताबिक पानी का प्रवाह दोनों जिलों में हो सके, इसके लिए बकायदा बारा वीयर पर जल बंटवारे के स्थल की ऊंचाई समान रखी गई। कई सालों तक समझौते के आधार पर दोनों जिलों में पानी का प्रवाह होता रहा, लेकिन बाद में पानी के साथ मिट्टी बहकर आने और बारा वीयर में अलवर के जल प्रवाह राह पर जमा होने से वह ऊंचा होता गया, जिससे अलवर की ओर से आने वाले पानी की मात्रा कम होती गई। इसी का नतीजा है कि जयसमंद बांध में पानी की आवक घटती गई। वर्तमान में हालत यह है कि बारिश के दिनों में जयसमंद में कभी-कभार ही पानी की आवक हो पाती है। जिससे कभी साल पर्यंत लबालब रहने वाला बांध सूखा दिखाई पड़ता है।
नहर किनारे अतिक्रमण से भी रुका जल प्रवाह बारा वीयर से जयसमंद में पानी नहर के माध्यम से आता था। नहर के आसपास अकबरपुर, माचडी, पलखड़ी, धर्मपुरा सहित अन्य गांव होने के कारण अतिक्रमण बढ़ता गया। लोगों के नहर किनारे अतिक्रमण कर खेती करने से पानी का प्रवाह थम गया। बुवाई करने से मिट्टी ऊपर आकर बारिश के पानी से नहर में पहुंचती गई। इससे पानी की राह रुक गई।
पहले पानी की इतनी आवक, एक बार बांध टूट गया अलवर के पूर्व राजपरिवार से जुड़े नरेन्द्रसिंह राठौड़ बताते हैं कि पहले जयसमंद में बारा वीयर व सिलीसेढ़ से पानी की इतनी आवक होती थी कि एक बार बांध टूट गया। पूर्व महाराज जयसिंह ने बांघ की पाल फिर से बनवाई। उस दौरान बांध की पाल के लिए मिट्टी में शीशा मिलवाकर हाथियों से गुंदवाया गया, फिर पाल बनवाई।