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जरा इनकी सुनिए…दलाल के जरिए आते तो काम हो जाता

locationअलवरPublished: Jun 23, 2018 11:13:06 am

Submitted by:

Prem Pathak

सच्चाई जुबां पर आते ही खुल गई सरकारी कार्यालयों में हो रहे भ्रष्टाचार की पोल

Alwar : corruption in govt office

जरा इनकी सुनिए…दलाल के जरिए आते तो काम हो जाता

अलवर. जिले की जनता दफ्तरों में चक्कर काटकर भी अपने काम नहीं करा पा रही है। चाहे नगर परिषद हो या बिजली निगम। शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन के कार्यालयों में भी रोजाना न जाने कितने लोग हार थककर पहुंचते हैं। उनका दर्द जानने के लिए शुक्रवार को पत्रिका ने अलग-अलग कार्यालयों का हाल जाना तो जनता का दर्द सामने आया।
आप भी जनता की पीड़ा को जानिए। ताकि अधिकारियों तक उनकी आवाज पहुंचे और कुछ राहत की सांस मिले।
दलालों के जरिए नहीं आया तो तीन साल हो गए

नगर परिषद में कमल मल्होत्रा स्कीम दो में अपने 83 वर्गगज के भूखण्ड की लीज कराने के लिए तीन साल से चक्कर काट रहे हैं। जब कमल से लीज नहीं मिलने के बारे में पूछा तो उनका दिल का दर्द बाहर आया। कहा कि मैं दलालों के जरिए नहीं आया तो काम नहीं किया जा रहा है। दलालों के पास जाता तो अब तक लीज मिल जाती। आप देखिए मैं 97 हजार 100 रुपए साल 2017 में ही जमा भी करा चुका हैं। नाम परिवर्तन कर बीच में ही छोड़ दिया। यही नहीं मुझसे एक बार की बजाय दो बार अखबार में विज्ञप्ति जारी करवा दी। ये मानों तीन साल में इतने चक्कर लगा लिए कि पांच जोड़े जूते चप्पल घिस गए हैं। आयुक्त के पास जाने का प्रयास किया तो अन्दर ही नहीं घुसने दिया। अब अखबार को जानकारी दी है तो हो सकता है इसका भी खमियाजा भुगतना पड़ जाए।
आंख से पूरा दिख नहीं रहा, 8 साल का प्रदीप परेशान

आठ साल का मासूम प्रदीप अपने पिता की अंगुली पकड़े हुए कलक्टर कार्यालय पहुंचा। एक आंख खराब है दूसरी से कम दिखता है । घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण इलाज भी नहीं करवा पा रहा है। इसलिए पिछले कई महीने से निशक्तता प्रमाण पत्र बनाने के लिए चक्कर काट रहा है। पिता महेश चंद ने बताया कि 14 नवंबर 2017 को चिकित्सा विभाग में आवेदन किया था। इसमें 40 प्रतिशत से कम विकलांगता का सर्टिफिकेट बना दिया। इसको सही कराने के लिए सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता विभाग की ओर से चलाए गए विशेष योग्यजन कैंप में भी आवेदन किया। न्याय आपके द्वार कार्यक्रम के तहत उमरैण पंचायत समिति में भी अपनी पीड़ा बताई। लेकिन आज तक सही सर्टिफिकेट नहीं बन पाया। शुक्रवार को अपनी पीडा बताने अतिरिक्त जिला कलक्टर के पास पहुंचा।
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