गौरतलब है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में समानता की भावना पैदा करने, उनमें एकता का भाव जगाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से राज्य भर में संचालित सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यरत कार्यकर्ता व सहायिकाओं को साडियां वितरित की गई थी। लेकिन पिछले चार साल से न तो साडियां ही आई और न ही इन्हें खरीदने के लिए कोई बजट दिया गया।
कार्यकर्ताओं की परेशानी यह है कि चार साल पहले जो साडियां दी गई थी वो पुरानी हो चुकी हैं उनका कपड़ा खराब हो चुका हैं। उनका रंग फीका हो चुका है। हालत यह है कि पूर्व में दी गई साडिय़ों पहनने पहनने योग्य नहीं रही। इसलिए साडियों को उठाकर बैग में रख लिया। महिलाएं जब विभाग के कार्यक्रमों में जाती हैं तो ही वो साडिय़ों में दिखाई देती हैं। या फिर सेंटर पर कोई अधिकारी जांच के लिए आता है तो तुरंत ही साड़ी बदल दी जाती हैं।
&हमारे पास बजट नहीं आ रहा है और न ही मुख्यालय की ओर से साडिय़ां खरीदकर दी गई है। इसलिए कार्यकर्ताओं को नई साड़ी नहीं मिल पा रही है। हर साल मुख्यालय को इसकी सूचना भेजी जा रही है।
शांति वर्मा, उपनिदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग, अलवर।
&हमारे पास बजट नहीं आ रहा है और न ही मुख्यालय की ओर से साडिय़ां खरीदकर दी गई है। इसलिए कार्यकर्ताओं को नई साड़ी नहीं मिल पा रही है। हर साल मुख्यालय को इसकी सूचना भेजी जा रही है।
शांति वर्मा, उपनिदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग, अलवर।