स्वयं चलाये स्वछता अभियान
संत तो तपस्या करने आये है। कमी निकलना हमारा काम नही है। वैसे सरकार अपने स्तर पर ठीक कार्य करने का काम कर रही है। अफसरशाही ओर कर्मचारी के कारण कार्य मे देरी हो रही है। हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा पर्व होने से संत तो स्वयं ही बहुतसी व्यवस्था कर लेते है।
पिछले कुम्भ 2013 में हर तरह की व्यवस्ता थी। इस बार क्षेत्र बढने ओर बजट बढ़ाने के बावजूद व्यवस्थाओ में कमी है। हर सेक्टर में शासकीय व्यवस्था होना जरूरी। संत को राशन सहित कई कार्यो के लिए भटकना पैड रहा है। यात्री भी परेशान हो रहे है।
18 वर्ष की उम्र में संभाली गद्दी
बिहार निवासी स्वामी केश्वचार्य ने बताया कि 18 वर्ष की उम्र में अपने गुरु और दादा की गद्दी संभाली। 1978 में बनाराश से एम ए में टॉप किया। 1984 में पीएचडी फिलोसोफी में की है। 5 भाई और 5 बहनों में से एक केश्वचार्य गरीबो को शिक्षा, हॉस्पिटल, निशुल्क दावा वितरण आदि कार्य कर रहे है।