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कुम्भ के मेले में विहिप की करोड़ों की कुटिया, देखकर रह जाएंगे दंग

locationप्रयागराजPublished: Feb 18, 2019 01:30:38 pm

विहिप की कुटिया में करोड़ों हो रहे खर्च

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कुम्भ के मेले में विहिप की करोड़ों की कुटिया, देखकर रह जाएंगे दंग

धर्मेन्द्र यादव
प्रयागराज। कुम्भ मेले में भक्ति की दिव्यता के बीच राजनीति की भव्यता विहिप की ओर से लगाए गए शिविर में बखूबी बिखर रही है। एक तरफ तो बड़े-बड़े महामण्डलेश्वरों के पाण्डाल बिखर रहे हैं और दूसरी तरफ विश्व हिन्दू परिषद की ओर से लगाए गए शिविर में एक दिन के एक करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो रहे हैं और अभी चहल-पहल कम नहीं हो सकी है।
15 एकड़ में विहिप का शिविर, एक करोड़ रोज का खर्च

कुम्भ मेले के सेक्टर 14 में 15 एकड़ जमीन पर विहिप का मुख्य शिविर लगाया गया है। जिसमें एक दिन का खाने का खर्च करीब एक करोड़ रुपया है। एक समय के खाने पर करीब 20 लाख रुपए खर्च हो रहे हैं। यहां पर करीब 250 कुटिया बनी हैं। जिनमें अलग-अलग प्रदेशों से वनवासी के रूप में विहिप, संघ व अन्य संगठनों के सदस्य व पदाधिकारी पहुंच रहे हैं। जिनके खान-पान का पूरा इंतजाम यहां निशुल्क हो रहा है।
अकेले राजस्थान से कई करोड़ रुपया पहुंचा
कुम्भ का आयोजन इलाहबाद में है। वैसे तो यहां के कार्यकर्ता कह रहे हैं कि समाज के सहयोग से यह सब हो रहा है। लेकिन जब राजस्थान के विहिप के प्रदेशाध्यक्ष से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि राजस्थान से भी बड़ी संख्या में कुम्भ में कार्यकर्ता व वनवासी गए हैं। देश भर के सहयोग से ऐसे बड़े शिविर लगाए जाते हैं। अकेले राजस्थान से करीब पांच करोड़ रुपये से अधिक राशि कुम्भ मेले में बतौर सहयोग के रूप में पहुंची है। इसके आधार पर देश भर का आकलन किया जाए तो लगता है कि इलाहबाद में विहिप के शिविर में करोड़ों रुपया पहुंचा है।
तो महामण्डलेश्वरों तक अधिक पहुंचता

यदि विहिप की ओर से इतना बड़ा शिविर नहीं लगाया जाता तो निश्चित रूप से इसमें से बड़ा हिस्सा साधु-महात्मा व महामण्डेलश्वरो तक पहुंचता। इस बात को साधु संत समाज के महामण्डलश्वर भी सोच रहे हैं। इसी जगह पर यहां आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी धर्म सभा में आए थे। इनके अलावा आरएसएस, विहिप सहित अनेक हिन्दू संगठनों के सदस्य व पदाधिकारी यहां पहुंचे हैं।
ये दो बड़े आधार

शिविर में विहिप के प्रमुख कार्यकर्ता से नाश्ते के समय बातचीत हुई। जिन्होंने यह सब बताया कि एक दिन में करीब एक करोड़ रुपया खर्च हो रहा है। समाज के सहयोग से पैसा आ रहा है। शिविर में खाना बनाने वाल ठेकेदार ने बताया कि रोजाना करीब 15 हजार लोगों का खाना बन रहा है। खाने का बफर सिस्टम है। खाने में नियमित रूप से दो से अधिक मिठाई भी शामिल रहती हैं।

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