याचिका का विरोध कर रहे अधिवक्ता सीमांत सिंह के मुताबिक प्रदेश सरकार ने यूपी हायर एजुकेशन सर्विस कंडीशन एक्ट की धारा 31 ई में संशोधन कर नियमितिकरण हेतु आदेश जारी किया। इसके तहत 29 मार्च 2011 पर नियुक्ति पा चुके ऐसे मानदेय शिक्षक जो पद की अर्हता देखते हैं और 10 सितंबर 2018 तक लगातार पढ़ा रहे हैं की सेवा को नियमित कर दिया जाये।
इस संशोधन को याचिका में यह कहते हुए चुनौती दी गई कि जिन पदों के सापेक्ष नियमितिकरण किया जा रहा है वह पद पहले से ही विज्ञापित है । याचीगण ने उन पदों के लिये आवेदन किया है। एक्ट में पदों को सीधी भर्ती से भरने का प्रावधान है इसलिये राज्य सरकार को नियमितिकरण के जरिये पदों को भरने का अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने प्रदेश सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है । सरकार ने बताया कि 2008 और 2009 का विज्ञापन उसने संशोधन करने से पूर्व ही वापस ले लिया था और वर्तमान में ना तो कोई नियुक्ति प्रक्रिया लंबित है और न ही कोई आवेदक है। कोर्ट ने कहा कि एक्ट में संशोधन करने का राज्य सरकार को अधिकार है इसलिये यह नहीं कहा जा सकता कि सरकार ने बिना अधिकार के संशोधन किया है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है ।