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एशिया के सबसे पुराने छात्रसंघ पर ताला अब नही होगा चुनाव,कार्यपरिषद की बैठक में लगी मुहर

locationप्रयागराजPublished: Jun 29, 2019 02:48:17 pm

भारी हंगामे के बीच हुई कार्यपरिषद की बैठक अध्यक्ष महामंत्री सहित दर्जन भर हिरासत में

प्रयागराज।इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ भवन पर शनिवार को ताला लग गया । विश्वविद्यालय में कार्यपरिषद की बैठक में विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव को बैन करते हुए छात्र परिषद को लागू करने का निर्णय लिया गया ।बता दें कि बीते 25 जून को विश्वविद्यालय प्रशासन ने एकेडमिक काउंसिल की बैठक में छात्र परिषद लागू करने के प्रस्ताव की संस्तुति की थी, जिस पर शनिवार को कार्यपरिषद ने मुहर लगाई है। कैंपस में भारी हंगामा देखते हुए भारी फ़ोर्स तैनात रही और छात्र नेताओं के साथ झड़प भी हुई और दर्जन भर छात्र नेता हिरासत में लिए गये ।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय पिछले चार दिनों से जंग का मैदान बना हुआ था। भारी विरोध हंगामे के बीच शनिवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने महत्तवपूर्ण निर्णय लेते हुए एशिया के सबसे पुराने छात्रसंघ को प्रतिबंधित कर दिया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अब छात्र संघ के चुनाव नहीं होंगे । विश्वविद्यालय में छात्रों के द्वारा छात्र परिषद का चयन होगा जिसमें सभी विभाग में प्रतिनिधि चुने जाएंगे वह सभी प्रतिनिधि मिलकर अब छात्र संघ का अध्यक्ष चुनेंगे । विश्वविद्यालय में प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली बंद कर दी गई।
कार्यपरिषद की बैठक में छात्र संघ चुनाव पर बैन
विश्वविद्यालय में तमाम आतंरिक मुद्दों पर कार्यपरिषद की महत्वपूर्ण बैठक हुई । बैठक विश्वविद्यालय के लॉ फैकेल्टी में की गई जिसमें कुलपति सहित प्रॉक्टोरियल बोर्ड के मेंबर और कार्यपरिषद के सदस्य ने हिस्सा लिया। इस बैठक में सर्वसम्मति से छात्र संघ चुनाव पर बैन करने की सहमति जताई गई और छात्र परिषद पर मुहर लगा दी गई। इस बीच छात्र संघ के मौजूदा अध्यक्ष उदय प्रकाश यादव महामंत्री शिवम सिंह की अगुवाई में छात्रसंघ भवन पर विश्वविद्यालय प्रशासन का भारी विरोध होता रहा इस दौरान पुलिस प्रशासन से छात्र संघ के पदाधिकारियों की तीखी नोकझोंक हुई । छात्र संघ अध्यक्ष और महामंत्री सहित दर्जन भर से ज्यादा छात्र नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
2011 में भी लिया गया था निर्णय
विश्वविद्यालय में छात्र परिषद का मॉडल लागू करने के लिए इसके पहले भी निर्णय लिया गया था। 5 दिसंबर 2011 को एकेडमिक काउंसिल की बैठक में छात्र परिषद लागू करने के निर्णय पर सहमति बनी थी। लेकिन भारी विरोध के बीच फैसला वापस लेना पड़ा था, जानकारी के मुताबिक़ 2011 को एकेडमिक काउंसिल की बैठक में निर्णय हुआ लेकिन छात्र संघ के उग्र विरोध के बाद तत्कालीन केंद्र की यूपीए सरकार में राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन को फैसला वापस लेना पड़ा और छात्र संघ बहाल करना पड़ा था ।
कैंपस में अराजकता चरम पर
विश्वविद्यालय में बीते कुछ दिनों से अराजकता अपने चरम पर थी बीते 14 अप्रैल को छात्र नेता रोहित शुक्ला कर गोली मारकर छात्रावास में हत्या कर दी गई थी । इसके पहले छात्रावास के ही कॉमन हाल में छात्र नेता सुमित शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी । इन सब मामलों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लेते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन और जिला प्रशासन समेत उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को तलब किया था ।मामले में विश्वविद्यालय की ओर से रजिस्टार प्रोफेसर एन के शुक्ला ने अपना पक्ष रखा उन्होंने कोर्ट में हलफनामा देकर का हवाला देते हुए छात्र परिषद का मॉडल लागू किए जाने का जिक्र किया था ।इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी पृष्ठभूमि तैयार कर रखी थी यही वजह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों के हित में बता रहा है । हलाकि छात्र संगठन इस प्रस्ताव का विरोध करने में जुटे हैं लेकिन तमाम विरोध के बीच शनिवार को कार्यपरिषद ने छात्र परिषद लागू कर दी गई ।
छात्र नेताओं ने किया विरोध
विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के बंद होने की सूचना पर एक बार फिर छात्र नेताओं में खलबली मची है । अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सहसंयोजक रोहित मिश्रा ने कहा कि छात्र संघ पर रोक लोकतंत्र की हत्या है, विश्वविद्यालय प्रशासन भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का ठीकरा छात्रसंघ पर फोड़ना चाहता है । छात्र संघ में कोई कमी है तो उसमें सुधार होने की जरूरत है, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह ने कहा कि छात्र संघ का बैन का फैसला संविधान द्वारा मूलभूत अधिकारों के अंतर्गत आर्टिकल 19 के तहत यूनियन बनाने की मूलभूत अधिकार का हनन है।
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