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95 साल पुराने छात्र संघ बदला स्वरुप ,अब ऐसे चुने जायेंगे अध्यक्ष उपाध्यक्ष महामंत्री

locationप्रयागराजPublished: Jul 08, 2019 11:31:44 pm

95 साल पुराने छात्रसंघ का बदला स्वरुप
देश के राजनितिक इतिहास में दर्ज है इस छात्र संघ नाम
प्रधानमंत्री देने वाला पहला छात्र संघ

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प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र परिषद लागू करने के निर्णय के बाद अब चुनाव का प्रारुप, नियमावली और आचार संहिता भी तैयार हो चुकी है। प्रोफ़ेसर के एस मिश्रा की अध्यक्षता में गठित समिति में विश्वविद्यालय के सारे कॉलेज के प्राचार्य के अलावा विश्वविद्यालय के कई वरिष्ठ प्रोफेसर भी शामिल थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रतनलाल हांगलू को सौंपे रिपोर्ट में समिति ने छात्र परिषद चुनाव को लेकर विस्तृत रिपोर्ट दे दी है। इस समिति ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकृत लिंगदोह समिति की सिफारिशों को अपनाने पर खास जोर दिया है । समिति की ज्यादातर सिफारिश लिंगदोह समिति के निर्देशानुसार ही बनाई गई है। इस समिति ने छात्रसंघ की जगह ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र परिषद’ नाम सुझाया। अब छात्र परिषद का ध्येय वाक्य ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ और quot rami tot Arbores’ होगा।

छात्र परिषद में शीर्ष स्तर पर पाँच केंद्रीय पदाधिकारी होंगे। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव और सांस्कृतिक सचिव। छात्र परिषद का अध्यक्ष समस्त पदाधिकारियों की बैठक होने पर उसकी अध्यक्षता करेगा । अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष अध्यक्ष के कार्य और कर्तव्यों का निर्वहन करेगा। छात्र परिषद की बैठक बुलाने का अधिकार सचिव को होगा। सचिव की अनुपस्थिति में संयुक्त सचिव उसके समस्त कर्तव्यों का निर्वाहन करेगा। सांस्कृतिक सचिव विश्वविद्यालय में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का कार्य करेगा।
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इस समिति ने विश्वविद्यालय को पांच इकाईयों में विभाजित किया है। कला संकाय, वाणिज्य संकाय , विज्ञान संकाय, विधि संकाय, तथा आईपीएस और अन्य सेंटर को मिलाकर पांचवी इकाई बनायी गयी है। समिति ने कहा है कि आम छात्रों के मतदान द्वारा इन्हीं पांच इकाइयों से प्रतिनिधि चुने जाएंगे तथा यह चुने गए प्रतिनिधि ही अपने बीच से केंद्रीय पदाधिकारियों का चयन करेंगे।समिति ने कहा है कि शोध के स्तर पर पांचों संकाय से 2 शोध छात्र प्रतिनिधि, आम छात्र द्वारा प्रत्यक्ष मतदान से चुने जाएंगे। हर संकाय से अनिवार्य रूप से एक पुरुष तथा एक महिला प्रतिनिधि होगी। अर्थात शोध के स्तर पर पांच संकाय से 10 छात्र प्रतिनिधि मतदान द्वारा चुने जाएंगे। जिनमें पांच पुरुष और पांच महिलाएं होगी।
वही परास्नातक स्तर पर पाँचों संकाय में प्रथम सेमेस्टर से दो और तृतीय सेमेस्टर से दो छात्र प्रतिनिधि मतदान द्वारा चुने जाएंगे। हर स्तर से अनिवार्यतः एक महिला प्रतिनिधि चुनी जाएगी। प्रत्यक्ष मतदान द्वारा इस स्तर पर कुल 20 छात्र प्रतिनिधि चुने जाएंगे। जिसमें अनिवार्य रूप से 10 महिला प्रतिनिधि होगी। स्नातक स्तर पर प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष, तृतीय वर्ष तथा जहां चतुर्थ और पांच वर्षीय कोर्स है वहां से एक पुरुष छात्र प्रतिनिधि तथा एक महिला छात्र प्रतिनिधि प्रत्यक्ष मतदान द्वारा चुना जाएगा । इस स्तर में कुल चौतीस छात्र प्रतिनिधियों का चयन किया जाएगा, जिनमें अनिवार्यतः आधी महिलाएं होंगी।
शोध, परास्नातक तथा स्नातक स्तर पर आम छात्रों द्वारा प्रत्यक्ष मतदान से जो प्रतिनिधि चुनें जाएंगे उन्हें क्लास रिप्रजेंटेटिव कहा जाएगा। इनमें से अनिवार्य रुप से आधी महिलाएं होंगी। इन छात्र प्रतिनिधियों द्वारा ही केंद्रीय पदाधिकारियों का मतदान द्वारा चयन किया जायेगा तथा इनके बीच से ही पांच केंद्रीय पदाधिकारी चुने जाएंगे। विश्वविद्यालय के जन संपर्क अधिकारी डॉ चित्तरंजन कुमार ने बताया कि इसके अलावा छात्र परिषद की केंद्रीय समिति में कुछ सदस्य नामित किए जाएंगे। केंद्रीय सांस्कृतिक समिति द्वारा एक छात्र नामित किया जाएगा तथा खेल के क्षेत्र में उत्त्कृष्ट प्रदर्शन करने वाला एक छात्र नामित किया जाएगा । पिछड़ी जाति,अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अल्पसंख्यक वर्ग से भी प्रत्येक संकाय से स्नातक, परास्नातक और शोध स्तर पर एक एक छात्र नामित किया जाएगा।
हर स्तर पर चुनाव में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों की उम्र सीमा लिंगदोह समिति की सिफारिश के हिसाब से ही होगी। लिंगदोह समिति ने स्नातक स्तर पर अधिकतम 22 वर्ष, परास्नातक स्तर पर 25 वर्ष तथा शोध स्तर पर अधिकतम 30 वर्ष की उम्र सीमा का सुझाव दिया है। जिन उमीदवारों की उपस्थिति 75 % से कम होगी तथा जिन पर अतीत में आपराधिक मुकदमे होंगे वे इस पूरी चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।छात्र परिषद के चुनाव, गठन और प्रारूप से जुड़ी हुई प्रक्रिया पर प्रो के एस मिश्रा की अध्यक्षता में गठित समिति में अपनी रिपोर्ट इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति को सौप दी है। इसे कुलपति ने अपनी स्वीकृति दे दी है। ” छात्र परिषद चुनाव का मॉडल ज्यादा व्यापक और पारदर्शी है। इसमें महिलाओं की आधी हिस्सेदारी होगी। साथ ही हर संकाय से हर सामाजिक वर्ग को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा। पूरी प्रक्रिया में लिंगदोह समिति की सिफारिशों का ध्यान रखा गया है।

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