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प्रयागराज

यूपी में हुआ था करोड़ों का घोटाला, अबतक दर्ज नहीं हुई एफआईआर

मंडलायुक्त ने 2014 में की थी जांच, दिया था एफआईआर दर्ज करने एवं रिकवरी का आदेश

प्रयागराजNov 11, 2017 / 05:48 pm

Ashish Shukla

इलाहाबाद. प्रदेश एवं देश में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने की बात करने वाली भाजपा की सरकार है। प्रदेश की सत्ता पर काबिज योगी सरकार भी छह माह का कार्यकाल पूर्ण कर चुकी है। भ्रष्टाचार की शिकायत पर भी सख्त कदम उठाने का दावा करने वाली सरकार के अधिकारी-कर्मचारी ही सरकारी दावे की पोल खोल रहे हैं। शिक्षा निदेशालय वेतनभोगी सहकारी समिति लिमिटेड में कुछ वर्ष पूर्व सवा दो करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ था। मई 2014 में दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश भी हुआ, सत्ता परिवर्तन के बाद भ्रष्टाचार पर सख्त रवैया दर्शाने वाली भाजपा की सरकार बनी तो कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जगी परंतु यह मामला फाइलों में दबकर ही रह गया। अब दम तोड़ती उम्मीदों के बीच पीड़ित कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री समेत अन्य आला अधिकारियों को पत्र लिखकर रुपयों की रिकवरी सुनिश्चित कराने की अपील की है।

गौरतलब है कि पूर्व में सहकारी समिति के सदस्यों ने 2,29,18,820 रुपये डूबने की शिकायत की थी। शिकायत पर इलाहाबाद के उपायुक्त और उपनिबंधक सहकारिता विजय शंकर तिवारी ने 2014 में मामले की स्वयं जांच की थी, जिसमें 210 ऋणी सदस्यों में से 26 को ऋण वितरण संदिग्ध पाया गया। 51 डिफॉल्टर सदस्यों और 45 अन्य सदस्यों से वसूली न हो पाने के कारणों की भी कोई ठोस जानकारी जांच अधिकारी को नहीं दी गई। 51 डिफॉल्टर सदस्यों में से एक लापता था, वहीं दो मृतक। 45 सदस्य ऐसे भी मिले, जिनसे बगैर ठोस कारण के वसूली रोक दी गई। उपनिबंधक ने सचिव सहकारी समिति को 23 मई 2014 को बकायेदारों से ब्याज समेत सम्पूर्ण धनराशि एक मुश्त जमा करने के लिए नोटिस जारी करने और करें धनराशि जमा नहीं करने पर वसूली की कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया था। दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने को भी कहा था, लेकिन प्रशासनिक फरमान को ताक पर रख तीन साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब परेशान कर्मचारियों ने अपने पैसे को प्रसाद की तरह बांटने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग करते हुए गाढ़ी कमाई की वापसी सुनिश्चित कराने की मांग की है।

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