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कुलपति को बचाने के लिए बिना जांच शुरू हुए भेज दी गई रिपोर्ट छात्र नेताओं ने लगाया आरोप, आंदोलन की धमकी

locationप्रयागराजPublished: Sep 22, 2018 03:24:43 pm

जाँच कमेटी के पास नही पंहुचा लिखित पत्र,रिपोर्ट पंहुच गई मंत्रालय

इलाहाबाद:इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रतन लाल हांग्लू का विवाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय तक पहुंच चुका है। पूरे प्रकरण की जानकारी मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने तलब की, जिसके बाद आनन—फानन में विश्वविद्यालय द्वारा जांच कमेटी बनाई गई। हालांकि इस कमेटी का छात्र नेताओं ने बहिष्कार कर दिया। जांच कमेटी पूरे तरीके से क्रियान्वित भी नहीं हुई तब तक विश्वविद्यालय ने मानव संसाधन मंत्रालय को रिपोर्ट भेज दी। इसे लेकर हंगामा शुरू हो गया है। कुलपति का विरोध कर रहे संगठनों का कहना है की विवि अपनी रिपोर्ट बिना जांच के नहीं भेज सकता है। गलत जानकारी भेज कर मंत्रालय को गुमराह किया जा रहा है।

कुलपति प्रकरण में एमएचआरडी ने जो रिपोर्ट मांगी उसके साथ व्हाट्सएप चैट और ऑडियो क्लिप भी तलब की गई हैं। जिसके मद्देनजर विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति केएस मिश्रा ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुवाई में एक टीम गठित की जिसका छात्रों ने जमकर विरोध किया हैै। वहीं खुद जस्टिस अरुण टंडन ने मीडिया से कहा कि उन्हें अभी किसी भी तरह का कोई पत्र नहीं मिला है, अगर मिलता है तो उसके आगे सोचेंगे।बड़ा सवाल यह है की जब अभी तक जांच कमेटी के पास लिखित पत्र नहीं पहुंचा तो जांच कैसे हुई। किस बात की रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय भेजा गई। विश्वविद्यालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय प्रशासन ने रिपोर्ट जो भेजी है। उसमें कहा गया है कि कैम्पस में माहौल खराब करने के मकसद से कुछ लोगों ने कुलपति को बदनाम करने की साजिश रची है। ऑडियो क्लिप और व्हाट्सएप दोनों झूठे हैं। रिपोर्ट की जानकारी जैसे ही छात्रनेताओं को लगी हंगामा शुरू हो गया। इस मामले में विश्वविद्यालय का कोई भी अधिकारी सामने आने को तैयार नहीं है और न ही यह स्पष्ट हो रहा है की जांच किसने की है।

छात्र नेताओं ने उठाए बड़े सवाल
छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह ने कहा, जो रिपोर्ट भेजी गई है, वह किस आधार पर भेजी गई है। जब जांच कमेटी अभी तय ही नहीं हो पाई तो जांच किसने की। विश्वविद्यालय प्रशासन कैसे कह सकता है कि ऑडियो क्लिप और व्हाट्सएप चैट झूठा है। कल्याणी विश्वविद्यालय की महिला शिक्षिका द्वारा भेजा गया पत्र कैसे गलत बताया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन इस पूरे मामले में लीपापोती करने में लगा है। इतने शर्मनाक आरोप के बाद भी कुलपति को बचाना विश्वविद्यालय के के हित में नहीं है। रिपोर्ट सही नहीं है इसका विरोध होगा।

पूर्व अध्यक्षों का मिला साथ
विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष संजय तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय इतना पतित हो गया है। इसकी गिरावट यहां तक आ गई है। गुरु— शिष्य परंपरा ताक पर रख दी गई है पद की गरिमा मिट गई है। इस पर कुछ भी नहीं बोला जा सकता जो दोषी है उसके खिलाफ कार्रवाई कार्यवाही होनी चाहिए। छात्रों के आन्दोलन को मेरा समर्थन है।

वीसी बेगुनाह तो क्यों चुप हैं
पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष दिनेश यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति अगर पाक साफ हैं तो उन्हें सामने आना चाहिए, अपनी बात रखनी चाहिए। सार्वजनिक रूप से सामने आने में समस्या है तो मीडिया के माध्यम से या पत्र जारी करके बात करनी चाहिए। कैंपस की गरिमा धूमिल हुई है, विश्वविद्यालय के कुलपति पर लगाया आरोप किसी काली किताब की तरह है जो कभी मिटाया नहीं जा सकता वीसी बेह्गुनाह है तो क्यों चुप हैं।

बीएचयू की तरह हो कार्यवाही
विश्वविद्यालय के वरिष्ठ नेता प्रवीण शुक्ला ने कहा कि मणिपुर विश्वविद्यालय के कुलपति हटाए गए हैं। अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति को भी हटाना चाहिए। शुक्ला ने कहा, बीएचयू में हुए आंदोलन पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कार्यवाही की थी। उम्मीद है कि फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मामले में सख्त कार्यवाही करेगी, बेहद गम्भीर मामला है।

विवि की साख को लगा बट्टा
विश्वविद्यालय के पूर्व उपाध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभय अवस्थी ने कहा कि हम कभी कल्पना भी नहीं कर सकते कि पूरब का आक्सफोर्ड इसलिए सुर्खियों में आएगा। सिर शर्म से झुक गया है। हम गौरवान्वित महसूस करते हैं कि हम इलाहाबाद विवि की गौरवशाली परंपरा के छात्र रहे हैं, लेकिन आज सभी विवि से प्रेम करने वाले दुखी है। कैम्पस की साख को बट्टा लगा है।

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