लेकिन इन सबके बीच विश्वविद्यालय प्रशासन की सबसे मजबूत कड़ी और जिम्मेदार अधिकारी प्रोफेसर रामसेवक दुबे ने बीती रात में ग्यारह बजे अपना इस्तीफा कुलपति को भेज दिया है।उन्होंने लिखा कि इस पत्र के साथ उन्हें इस पद से मुक्त समझा जाए। हालाकि पत्र में प्रोफेसर रामसेवक दुबे ने स्वास्थ्य की अनुकूलता को कारण बताते हुए अपना इस्तीफा भेजा है।उन्होंने लिखा है कि उन्हें आत्मिक खिन्नता का अनुभव हो रहा है। लेकिन कैंपस में कुलपति के ऑडियो टेप आने के बाद कुलानुशासक का इस्तीफा चर्चा में बना हुआ है वही कुलपति के ऑडियो टेप पर रामसेवक दुबे ने कहा कि अगर यह सच है।तो इस पर कुलपति को सहयोग करना चाहिए और उस महिला सहित इस ऑडियो टेप की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए ।
बता दें कि प्रोफेसर रामसेवक दुबे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उन शिक्षकों में हैं। जो ऐतिहासिक विश्वविद्यालय को बचाने के स्तंभ के तौर पर रहे है। लेकिन बीते दो सालों में कुलपति रतनलाल के कार्यकाल में उन्हें कुलानुशासक बनाए जाने के बाद से लगातार वह छात्रों के निशाने पर रहे हैं। बता दें कि रामसेवक दुबे की ही पहल पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पहली बार 2017 के सत्र में इलाहाबाद विश्वविद्यालय का छात्रावास वास आउट कराया गया जिसको लेकर रामसेवक दुबे जमकर आंदोलन हुए लेकिन कभी रामसेवक दुबे बैकफुट पर नहीं आये।
प्रो राम सेवक दुबे संस्कृत शिक्षक है।वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र और यही शिक्षक हुए।विवि में प्रशासन चलाने का बड़ा जिम्मा उन पर रहता था।कुलपति हंग्लू के खिलाफ हुए हर आन्दोलन में वह सबसे पहले सामने आकर बचाव करते थे।हर अनुशासन हीनता पर कुलपति के समर्थन में छात्रो के खिलाफ मामला दर्ज कराते थे।लेकिन पहली बार उन्होंने कदम पीछे किये है। उनके इस्तीफे के बाद कई छात्रो ने उनके इस निर्णय का स्वागत किया है।वही कैम्पस में अस्थिरता शुरू हो गई है।