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मालूम हो कि थाना प्रभारी लाल सिंह ने पुलिस टीम के साथ अदम्य साहस दिखाने पर प्रोन्नति पाने की लालच में हापुर-गाजियाबाद रोड पर स्थित पुलिया के पास से चार मजदूरों को पकड़ा और मोदीनगर रोड के पास ईंख के खेत में मुठभेड़ में मार गिराया। मुठभेड़ को वास्तविक मुठभेड़ दिखाने के लिए कई थानों की पुलिस भी बुला ली गयी। 8 नवम्बर 1996 को दिन में साढ़े तीन बजे ताबड़तोड़ फायर हुआ और चार कथिम बदमाशों को मार गिराने का दावा किया गया। स्थानीय लोगों के विरोध व सबूतों के चलते सरकार ने घटना की जांच सीबीआई को सौंप दी। जिसमें फर्जी मुठभेड़ का खुलासा हुआ। गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने थाना प्रभारी सहित चार पुलिस कर्मियों रणवीर सिंह, लाल सिंह, सूर्यभान व सुभाष चन्द्र को हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी। पुलिस कर्मियों ने जसवीर उर्फ पप्पू, जलालुद्दीन, अशोक व परवेश को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया गया। रणवीर कांस्टेबल की मौत हो चुकी है। तीन आरोपी जेल में है। दो आरोपी कांस्टेबलों ने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की थी। कोर्ट ने आरोपों व साक्ष्यों को देखते हुए गंभीर अपराध में जमानत देने से इंकार कर दिया।
BY- Court Corrospondence