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कुंभ मेले में फर्जी शंकराचार्याें की मुश्किल बढ़ी, हाईकोर्ट पहुंचा मामला, कोर्ट ने दिया यह निर्देश

locationप्रयागराजPublished: Feb 14, 2019 12:00:54 pm

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि आदि शंकराचार्य ने चार पीठें गठित की थी, इसके अलावा अन्य पीठों के शंकराचार्य मान्य नहीं है।

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुम्भ मेले में फर्जी शंकराचार्याें को दी गयी सरकारी सुविधाएं वापस लेने एवं सुविधाओं के एवज में सरकारी धन की वसूली करने की मांग में दाखिल याचिका को 15 फरवरी को पेश करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति पी.के.एस.बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खण्डपीठ ने वरिष्ठ न्यायमूर्ति बघेल ने स्वयं को याचिका की सुनवाई से अलग कर लिया और नयी पीठ के समक्ष याचिका पेश करने के लिए मुख्य न्यायाधीश को संदर्भित कर दिया है।
याचिका संत रविदास नगर के राजेन्द्र प्रसाद मिश्र ने दाखिल की है। याचिका में ज्योर्तिपीठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य विवाद में 22 सितम्बर 17 के फैसले का पालन करने की भी मांग की गयी है। इस आदेश से कोर्ट ने फर्जी शंकराचार्याें के खिलाफ कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। याची अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र व चन्द्रकेश मिश्र ने बहस की।
मालूम हो कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती व स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के बीच ज्योर्तिपीठ बद्रिकाश्रम शंकराचार्य पद को लेकर विवाद हुआ। इलाहाबाद जिला न्यायालय ने स्वामी स्वरूपानंद के पक्ष में फैसला दिया जिसे प्रथम अपील में हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी। न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति के.जे.ठाकर की खण्डपीठ ने दोनों को शंकराचार्य पद के योग्य नहीं माना। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती शारदा द्वारिका पीठ के भी शंकराचार्य हैं। कोर्ट ने ज्योर्तिपीठ शंकराचार्य पद पर मठाम्नाय के नियमों के तहत काशी विद्वत परिषद व अन्य को नये सन्यासी को इस पद पर चुनाव करने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि आदि शंकराचार्य ने चार पीठें गठित की थी, इसके अलावा अन्य पीठों के शंकराचार्य मान्य नहीं है। कोर्ट ने राज्य सरकार को कार्यवाही करने का निर्देश दिया था, जिसका पालन कराने की मांग की गयी है।
BY- Court Corrospondence

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