प्यारा सिंह की पत्नी व पुत्री की हत्या कर घर में आग लगा दी। लाश जलते हुए घर में फेंक दी गयी थी। कुछ मवेशी भी घर में लगी आग में जल मरे। सरकार ने मृतक के लिए बीस हजार रूपये व घायलों को दस हजार की सहायता दी गयी थी। इसी प्रकार हरपाल सिंह के घर में भी आग लगा कर पिता को जलते घर में फेंक कर हत्या कर दी गयी थी और मां को इतनी बुरी तरह से मारापीटा गया कि मरणासन्न अवस्था में पहुंच गयी। घर में बंधे मवेशी जल मरे थे। 9 लाख 45 हजार का मुआवजा संस्तुति की गयी है किन्तु भुगतान नहीं किया जा सका हैं। मृतक के लिए बीस हजार व घायल को दस हजार का भुगतान किया गया है।
याची अधिवक्ता दिनेश राय का कहना है कि केन्द्र सरकार ने 11 जनवरी 06 को पुर्नवास नीति घोषित की जिसके अनुसार मृतक को साढ़े तीन लाख, घायल को एक लाख 25 हजार रूपये देने का निर्देश दिया गया है। सम्पत्ति के नुकसान का दस गुना मुआवजा देने की घोषणा की है। राज्य सरकार ने भी नीति को लागू करने के निर्देश जारी किये हैं। याची का कहना है कि फरवरी 15 में पांच लाख देने की बात कही गयी किन्तु दावा आयुक्त सिख विरोधी दंगा कानपुर मंडल ने 34 साल बाद भी मुआवजे का भुगतान न कर सके। याचीगण ने हाईकोर्ट की शरण ली है जिस पर कोर्ट ने दोनों सरकारों से याचिका के आरोपों पर जवाब मांगा है।
BY- Court Corrospondence