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1984 सिख विरोधी दंगा पीड़ितों को अब तक नहीं मिला मुआवजा, हाईकोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरकार से किया जवाब तलब

locationप्रयागराजPublished: Nov 15, 2018 10:12:53 pm

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

34 साल बाद भी नहीं किया गया भुगतान

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीलीभीत व बरेली में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगा पीड़ितों को मुआवजे के भुगतान मामले में केन्द्र व राज्य सरकार से एक माह में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति भारती सपू्र तथा न्यायमूर्ति जयन्त बनर्जी की खण्डपीठ ने पीलीभीत के प्यारा सिंह व बरेली के हरपाल सिंह की याचिका पर दिया है।
प्यारा सिंह की पत्नी व पुत्री की हत्या कर घर में आग लगा दी। लाश जलते हुए घर में फेंक दी गयी थी। कुछ मवेशी भी घर में लगी आग में जल मरे। सरकार ने मृतक के लिए बीस हजार रूपये व घायलों को दस हजार की सहायता दी गयी थी। इसी प्रकार हरपाल सिंह के घर में भी आग लगा कर पिता को जलते घर में फेंक कर हत्या कर दी गयी थी और मां को इतनी बुरी तरह से मारापीटा गया कि मरणासन्न अवस्था में पहुंच गयी। घर में बंधे मवेशी जल मरे थे। 9 लाख 45 हजार का मुआवजा संस्तुति की गयी है किन्तु भुगतान नहीं किया जा सका हैं। मृतक के लिए बीस हजार व घायल को दस हजार का भुगतान किया गया है।
याची अधिवक्ता दिनेश राय का कहना है कि केन्द्र सरकार ने 11 जनवरी 06 को पुर्नवास नीति घोषित की जिसके अनुसार मृतक को साढ़े तीन लाख, घायल को एक लाख 25 हजार रूपये देने का निर्देश दिया गया है। सम्पत्ति के नुकसान का दस गुना मुआवजा देने की घोषणा की है। राज्य सरकार ने भी नीति को लागू करने के निर्देश जारी किये हैं। याची का कहना है कि फरवरी 15 में पांच लाख देने की बात कही गयी किन्तु दावा आयुक्त सिख विरोधी दंगा कानपुर मंडल ने 34 साल बाद भी मुआवजे का भुगतान न कर सके। याचीगण ने हाईकोर्ट की शरण ली है जिस पर कोर्ट ने दोनों सरकारों से याचिका के आरोपों पर जवाब मांगा है।
BY- Court Corrospondence

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