सियासी जानकारों के मुताबिक पूर्व विधायक और भाजपा के दिग्गज नेता उदयभान करवरिया अगर इस मामले में जेल से छूट जाते हैं तो प्रयागराज के सियासी समीकरण बदल जाएंगे। किसी जमाने में भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी के सबसे करीबी रहे करवरिया को भाजपा में सभी धड़ों का समर्थन प्राप्त है। ब्राहमण नेता के अलावा करवरिया को जिले के सबसे दंबग भाजपा नेता के तौर पर भी जाना जाता है।
एक समय ऐसा भी था जब प्रयागराज में केवल उदयभान ने अपनी सीट बचाई थी। करवारिया को इसका इनाम भी मिला था और उन्हें भाजपा विधायक दल का नेता बनाया गया। जेल से निकलने के बाद शहर में सियासत की एक और मजबूत धुरी करवरिया कोठी बन जाएगी। ब्राह्मण विरोधी होने के आरोप से निकलने के लिए योगी सरकार ऐसे तमाम कदम उठा रही है। सियासी जानकारों के मुताबिक इसके चलते ही करवरिया से केस वापस लेने का फैसला किया गया है। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि इससे न केवल इलाहाबाद कमिश्नरी की तीन लोकसभा सीटों बल्कि सभी विधानसभा सीटों पर फायदा होगा। भाजपा इस फैसले को पूरे पूर्वांचल में भुनाने की कोशिश करेगी।
बहू ने संभाली परिवार की सियासी विरासत
जवाहर पंडित हत्याकांड में आरोपी बनाए जाने के बाद उयभान करवरिया ने एक जनवरी 2014 को सरेंडर किया था। उसके बाद से ही वे जेल में हैं। वहीं, उनके भाई और पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया और एमएलसी सूरजभान करवरिया, चचेरे भाई कल्लू महाराज को भी जेल जाना पड़ा। रसूखदार राजनीतिक घराने के तीनों कद्दावर चेहरों के जेल जाने के बाद सालों से चली आ रही राजनीतिक पकड़ कमजोर होती दिखी तो उदयभान की पत्नी नीलम करवरिया चुनावी मैदान में उतरीं और 2017 का विधानसभा चुनाव जीता। नीलम ने मेजा सीट से जीत दर्ज की।