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कभी हाथों में थी आला, अब आध्यात्मिक चिकित्सा से सुधार रहे देश की सेहत

locationप्रयागराजPublished: Jan 21, 2019 01:04:10 pm

Submitted by:

Ashish Shukla

ईएनटी सर्जन डॉ. पिंगले ने सनातन संस्कृति के लिए छोड़ दिया चिकित्सा पेशाअब देशभर में 100 से अधिक प्रचार-प्रसार केंद्र

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कभी हाथों में थी आला, अब आध्यात्मिक चिकित्सा से सुधार रहे देश की सेहत

प्रसून पाण्डेय
प्रयागराज. मन में अध्यात्म की अलख जगी तो आला वाले हाथों ने माला पकड़ ली। धर्म और चिकित्सा के मिलन से भारत को स्वस्थ करने का बीड़ा उठा लिया। 22 से अधिक प्रांतों में प्रचार-प्रसार केंद्र की स्थापना कर डाली। देखते ही देखते साधकों की फौज जुड़ गई और शुरू हो गया आध्यात्मिक चिकित्सा से सेहत सुधारने का कार्य।
यह कहानी है महाराष्ट्र के ईएनटी सर्जन डॉ. चारुदत्त पिंगले की। 1992 में नागपुर मेडिकल कालेज से एमबीबीएस व 1995 में एमएस (ईएनटी) की डिग्री लेने के बाद डॉ. पिंगले चिकित्सा जगत में शिद्दत से जुड़ गए। लेकिन उनका मन धीरे-धीरे अध्यात्म की ओर जाने लगा। इसी दौरान वे डॉ. जयंत अठावले के संपर्क में आए। यहीं से शुरू हो गई उनकी अध्यात्म यात्रा। फिर डॉ. पिंगले ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा और अठावले को ही अपना गुरु मान लिया।
1999 में छोड़ा चिकित्सा क्षेत्र
डॉ. चारुदत्त पिंगले ने एक बार जब अध्यात्म की ओर कदम रखा तो सबसे पहले हिंदू धर्म में स्वस्थ रहने के लिए बताए गए तरीकों पर शोध का कार्य किया। अच्छे परिणाम मिले तो 1999 में चिकित्सकीय पेशे को छोड़ दिया।
हिंदू जनजागृति समिति की स्थापना
डॉ. पिंगले ने सबसे पहले हिंदू जनजागृति समिति की स्थापना की। महाराष्ट्र के रत्‍‌नागिरि में आश्रम स्थापित किया। अब देश के 22 राज्यों में 100 से अधिक प्रचार-प्रसार केंद्र आध्यात्मिक चिकित्सा से लोगों की सेहत सुधारने का कार्य कर रहे हैं।
आध्यात्मिकता से जुड़ कर ही सोशल हेल्थ मिल सकता हैः पिंगले
पत्रिका से विशेष बातचीत में डॉ. पिंगले ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट भी कहती है कि चिकित्सा में सोशल हेल्थ भी सबसे अहम हिस्सा है। सोशल हेल्थ आध्यात्मिकता से जुड़ कर ही मिल सकता है। इसकी मदद आज कई अलग-अलग विकसित देश ले रहें। इसके माध्यम से वह लोगों को जल्द उनकी बीमारियों से मुक्त करा रहे हैं। उसी दिशा में भारत में हमारा यह कदम है। यह हमारी ही पद्धति रही है। हम सनातन पद्धति के विधान के माध्यम से चिकित्सा का प्रचार कर रहे हैं।
कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्स्थापन से ही स्वस्थ होगा देश
डॉ पिंगले ने कहा कि कश्मीर भारत मां का मस्तक है। कश्मीर के खंडित होने से भारत का सोशल हेल्थ खराब हो गया है। भारत के शीश पर जो घाव लगा है, उसका इलाज होना चाहिए। लोगों के बीच जन जागरूकता पहुंचाने के लिए विस्थापित कश्मीरियों का पुनर्स्थापन जरूरी है। डॉ. पिंगले ने कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 15 में कश्मीरी विस्थापितों पर प्रदर्शन भी लगाई है।

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