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Sc/St एक्ट के बाद बीजेपी ने दलितों को साधने के लिए एक और फैसला, विपक्षी खेमे में बढ़ी बेचैनी

locationप्रयागराजPublished: Sep 11, 2018 02:44:40 pm

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने लिया बड़ा फैसला, प्रदेश भर में शुरू हुई कवायद

BJP, Congress and BSP make a plan to grab Dalit votes in 20019

BJP, Congress and BSP make a plan to grab Dalit votes in 20019

इलाहाबाद:आगमी लोकसभा चुनाव से पहले एससी.एसटी कानून को पास करके भाजपा ने देश भर में दलित सियासत का माहौल गरमा दिया है।जिसके बाद भाजपा ने दलितों को अपने पाले में लाने की बड़ी मुहीम शुरू कर दी है। भाजपा दलित समाज के नेताओं को बड़ा मंच देने जा रही है। जिसके लिए शीर्ष नेतृत्व ने यूपी में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की अगुवाई में पिछड़े वर्ग के नेताओं को जोड़ने का कम शुरू कर दिया है। जिसके तहत सरकार द्वारा दलित उत्थान के लिए किये जा रहे प्रयासों को दलित समाज तक पंहुचाने के लिए दलित सम्मेलनों के जरिये कवायद शुरू हो चुकी है।जिसके तहत हर बूथ पर दलितो को जोड़ने और दलित चेहरों को बूथ पर जिम्मेदारी देकर संगठन को मजबूत करने का काम किया जा रहा है।

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यूपी में केशव प्रसाद मौर्य के चेहरे को आगे बढ़ाकर बड़े पैमाने पर पिछड़ा वर्ग और दलित समाज के लोगों का समर्थन हासिल किया था।अब एक बार फिर सूबे के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी दी है।लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केशव प्रसाद मौर्या की अगुवाई में पिछड़ी जातियों और दलितों को संगठन से जोड़ने का काम शुरु हो गया। प्रदेश भर में बीते कुछ दिनों से केशव प्रसाद मौर्या की अगुवाई में पिछड़ी जातियों और दलितों का सम्मेलन कर भाजपा उन्हें साथ लाने में जुटी है। जिसमें जाटव, सोनकर ,खटीक ,धोबी ,कठेरिया, पासी ,बालमीक, कोरी, कुरील जातियों का अलग.अलग सम्मेलन कर उन्हें मंच पर लाकर पार्टी से जोड़ने की तैयारी है।

गौरतलब है कि बीते लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों मेंअनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 17 सीटों पर भाजपा को कामयाबी मिली थी। साथ ही पुरे प्रदेश में 74 सीटें जीत कर भाजपा ने सभी दलों की सियासी गणित बिगाड़ दी थी।लेकिन एससी एसटी कानून के लागु होने से सवर्ण समाज का पारम्परिक वोट भाजपा से अलग होने की कगार पर है। जिसको सहजने के लिए दलितों और पिछड़ों को भाजपा अपने पाले में करने में लगी है।जिसके लिए आगामी चुनाव से पहले दलितों की सभी उप जातियों को पार्टी में चेहरा बनाने की तैयारी चल रही है।विशेष तौर से यूपी के पूर्वांचल में दलितों को जोड़ने का काम पार्टी में शुरू हो चुका है।

भाजपा के एक पूर्व सवर्ण विधायक की माने तो आरक्षण के मुद्दे पर बीते दो अप्रैल को दलितों द्वारा किए गए आंदोलन के बाद भाजपा के भीतर खाने में खलबली मच गई थी। देश भर में दलित भाजपा के खिलाफ सड़क पर उतरे। जिसका फायदा उठा कर एनडीए के घटक दलों के दलित सांसदो सहित पार्टी के भी दलित नेता सरकार के खिलाफ खड़े होने को तैयार हो गए। वहीं भाजपा ने एससी एसटी एक्ट में संशोधन करके देशभर में बड़ा दांव खेल कर सियासी माहौल बनाया।वही भाजपा को भरोसा है की संघ के जरिये सवर्ण समाज उनसे अलग नही होगा।

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