छात्रनेता क्लास रूम में छात्रों से सीधा संवाद स्थापित कर छात्र संगठन की विचारधारा और काम करने के तरीके और विश्वविद्यालय के लिए अपनी सोच को रख रहे हैं। वहीं शाम होते ही भीड़ वाले इलाकों में माइक मीटिंग देर रात तक चल रही है।
विद्यार्थी परिषद में भगदड़ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस बार एक महिला प्रत्याशी को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाकर पूरे पैनल को जिताने में लगी है तो वहीं समाजवादी छात्र सभा ने कैंपस में लंबे समय से संघर्ष कर रहे अपने कार्यकर्ता अवनीश यादव को प्रत्याशी बनाया है तो आखिरी समय में एनएसयूआई ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार और टिकट ना मिलने से बागी हुए सूरज दुबे को तोड़कर अपना अध्यक्ष प्रत्याशी घोषित कर दिया।
सूरज दुबे को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाने के बाद जातीय समीकरण को देखते हुए एनएसयूआई बीते साल के चुनाव के अनुमान से अपने आप को मजबूत मान रही है। बता दें कि विश्वविद्यालय के शोध छात्र मृत्युंजय राव परमार का टिकट लगभग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से तय माना जा रहा था। लेकिन आखिरी समय में राव का टिकट काटकर प्रियंका सिंह को अध्यक्ष प्रत्याशी घोषित कर दिया गया, जिसके बाद राव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं।
देखा जाए तो 2017 में हो रहे छात्र संघ चुनाव में सबसे ज्यादा संगठनात्मक नुकसान विद्यार्थी परिषद को होता दिख रहा है क्योंकि उसके कई प्रबल दावेदार टिकट ना मिलने से बागी हुए हैं। सूरज एनएसयूआई के खेमे में है तो राव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मैदान में है। वहीं नीरज प्रताप सिंह जी को विश्वविद्यालय प्रशासन ने पांच सालों के लिये निष्कासित किया था, नामांकन से एक दिन पहले हाईकोर्ट के आदेश पर नीरज का नामाकंन निष्कासन तो रद्द किया गया लेकिन परिषद से टिकट ना मिलने से नीरज प्रताप सिंह बागी हो गये।
एनएसयूआई ने रोचक किया मुकाबला बीते कई चुनाव में लगभग मुकाबले से बाहर रही एनएसयूआई ने अचानक से कैम्पस में खुद को जिंदा करने की कोशिश की हैऔर इसके सबसे बड़े रणनीतिकार के रूप में एनएसयूआई के प्रदेश सचिव निशांत रस्तोगी सामने आये हैं। निशांत रस्तोगी ने समाजवादी यूथ ब्रिगेड के मजबूत नेता युवाओं में अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले बाबुल सिंह को समाजवादी छात्र सभा पार्टी से तोड़कर एनएसयूआई में विश्वविद्यालय चुनाव का संयोजक बनाया है। बाबुल सिंह विश्वविद्यालय के वरिष्ठ छात्र नेता हैं और उनके आने से संगठन को बल मिला है ।
कम हुई प्रत्याशियों की संख्या इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 14 अक्टूबर को चुनाव होने हैं। बीते शुक्रवार को 7 पदों के लिए 67 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया है जिसमें अध्यक्ष उपाध्यक्ष महामंत्री संयुक्त मंत्री सांस्कृतिक सचिव स्नातक प्रतिनिधि परास्नातक शोध प्रतिनिधि पद शामिल है। विश्वविद्यालय के आंकड़े के अनुसार बीते चुनाव से इस चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या कम हुई है। बीते वर्ष 2016 में कुल 79 नामांकन हुए है। जबकि इस बार केवल 67 नामांकन हुए हैं।