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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बन रहा बीएचयू जैसा माहौल, कुलपति की जांच के लिए गठित कमेटी पर गंभीर सवाल

locationप्रयागराजPublished: Sep 21, 2018 04:38:16 pm

पीड़ित महिला सहित छात्रनेताओं ने जांच कमेटी पर ही उठा दिए सवाल, कहा सीबीआई से कराई जाए जांच

ratan lal hanglu

allahabad university

इलाहाबाद: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ चल रहा आंदोलन उग्र हो चुका है।कैंपस में हालात बिल्कुल बेकाबू है। विश्वविद्यालय में बीएचयू जैसा माहौल बनता दिख रहा है। कुलपति को लंबी छुट्टी पर भेजने के बाद आडियो टेप और स्क्रीन शॉट की जांच के लिए बनाई गई समिति पर सवाल उठने लगे है। छात्र नेता समिति को मानने को तैयार नहीं है। इस प्रकरण की सीबीआई जांच करवाने की मांग की जा रही है। साथ ही कुलपति को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की मांग शुरू हो रही है। जिस तरह के हालात है अगर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जल्द ही हस्तक्षेप नहीं किया तो कैम्पस में बड़े बवाल की आशंका है।

विश्वविद्यालय कैंपस के हालात चार दिनों से तनावपूर्ण है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संज्ञान लेने के बाद प्रो रतन लाल हंगलू को छुट्टी पर भेज दिया गया है। वहीं, प्रभारी कुलपति के एस मिश्र ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुवाई में जांच समिति का गठन किया है, लेकिन इस पर छात्रनेताओं ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। छात्रों का कहना है की कार्यवाहक वीसी को जांच समिति गठित करने का अधिकार ही नहीं है। कुलपति ने खुद को बचाने के लिए इस समिति का गठन करवाया है।

छात्रों ने सवाल उठाते हुए कहा की कोई अपने ही पद के खिलाफ कैसे जांच समिति गठित कर सकता है। इसके लिए विश्वविद्यालय के कार्यकारी परिषद के सदस्यों की अगुवाई में समिति गठित हो सकती है। छात्र रिटायर्ड जज से जांच को मानने को तैयार नहीं हैं। छात्रों का आरोप है की रिटायर्ड जज विश्वविद्यालय से जुड़े एक महाविद्यालय की प्रबंध समिति में उच्च पद पर हैं।और आंदोलन कर रहे छात्रों का कहना है की कुलपति के खिलाफ इस टीम द्वारा निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती है।

वहीं कुलपति के साथ आडियो में जिस महिला की आवाज़ बताई जा रही है, उसने कहा कि रिटायर्ड जज जांच निष्पक्ष नहीं करेंगे। यह जांच किसी और से करवाई जाए। हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि कुलपति की लम्बी छुट्टी कब तक है और कुलपति कैम्पस में कब आयेंगे। वहीं छात्रनेताओं ने साफ कहा की अगर यही समिति ने ही जांच की तो कुलपति को कैम्पस में घुसने नहीं दिया जायेगा और यह आन्दोलन जारी रहेगा।

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